प्राजक्ताचा सुगंधित पडला सडा
जागे झाले नभ,जल,भू,उभय चरा
अन्न शोधण्याजोगी एकडे तिकडे सैरावैरा
घास गिळूनी म्हणे हाच सुगंध खरा
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-Shaikh Wasim(SW... read more
जो अल्फाज़ जाहिर होने से न घबराते थे
न जाने कहां गुम हो गए
शादी के बाद की फरमाइशें
जबसे हुजूम हो गए-
उससे मिल बाहों में ले भी तो कैसे
उसने मोहब्बत नही मोहब्बत की नुमाइश की है-
कैसे हालात सामने आने लगे है
ज़माने को दोष देते लोग
खुदमे बदलाव लाने लगे है
चार किताबें पढ़कर तुम
मांबाप को जीने के
कायदे समझाने लगे है
बीवी खुश है, अब तुम
उससे कतराने लगे है
मां बाप के एहसान
की हकीकत समझने
तुमको काफी ज़माने लगे है
बच्चे भी अब तुम्हे झल्ला कर
तुम्हारे उसूल आजमाने लगे है
अब तो इस सोच
का पन्ना बदल दो
बुढ़ापे के दिन तुम्हारे भी
करीब आने लगे है-
तुंबडून वाहतेय शत्रूवृत्ती
जबाबदार आहे
द्वेष-ईर्ष्या-क्रोधचा अवकाळी ऋतू
वाढवत चला माणुसकी
प्रेम पुष्पांचा बांधून सेतू
~वसीम शेख-
हैसियत फ़कीर की
और अकड़ नवाब रखते है
कुछ लोग इज्जत दिए बिना
इज्जतदार होने ख्वाब रखते है-
हैसियत फ़कीर की
और अकड़ नवाब रखते है
कुछ लोग बिना मेहनत
बड़े बनने के ख्वाब रखते है-
ख़ामोशी खासियत
तब कहलाती हैं
जब वो खास मौकों पर
सबको खामोश कराती हैं-