मैं बचा इश्क़ के अज़ाबों से
प्यास बुझती नही शराबों से
~इरफ़ान_अलाउद्दीन-
शहर-ए-दिल की गली में खोने दो
शब-ए-फ़ुर्क़त का जगा हूं सोने दो
~इरफ़ान_अलाउद्दीन-
तू जुलेखा और यूसुफ़ मैं
चल बता जाँ अब ये कैसा है
~इऱफान_अलाउद्दीन-
ये चुभन है इश्क़ की इस से ज़ियादा कुछ नही
ख़्वाब टूटे है मिरे और फ़ुतादा कुछ नही
किरची किरची कर के टूटी ख़्वाहिशें मेरी यहाँ
असर मौसम का है उनका अब इरादा कुछ नही
~इऱफान_अलाउद्दीन
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शाख़ पत्ते हँस रहे है जोर से
देखो आंसू आ गया ना आँख में
~इऱफान_अलाउद्दीन-
उड़ गया वो भवरा देखो किस तरह
फूल कहता है न आना पास में
~इऱफान_अलाउद्दीन
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रात जैसे तैसे गुज़री है मिरे
मेरा दिल भी अब अदानी जैसा है
~इऱफान_अलाउद्दीन-
ख़त मिले है मुझे पुराने कुछ
उन में कितने तिरे फ़साने है
~इऱफान_अलाउद्दीन-
चाँद तारे आसमाँ में निकले है
इश्क़ वालों की कहानी देख कर
~इऱफान_अलाउद्दीन
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रात मुश्क़िल से गुज़रती मेरी
ज़िंदगी झाक ले हिजाबों से
~इऱफान_अलाउद्दीन
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