रोज़ अच्छे नहीं लगते आँसू
ख़ास मौक़ों पे मज़ा देते हैं-
Shaikh Arshad
(Arshad_Usmani)
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Ek Naye Safar ki Taraf......
Joined 8 August 2019
23 JAN 2022 AT 17:09
ये कैसे ख़्वाब की ख़्वाहिश में घर से निकला हूँ
कि दिन में चलते हुए नींद आ रही है मुझे-
22 JAN 2022 AT 9:28
जाने किस ख़्वाब-ए-परेशाँ का है चक्कर सारा
बिखरा बिखरा हुआ रहता है मिरा घर सारा-
19 JAN 2022 AT 5:32
ज़िंदगी ख़्वाब है और ख़्वाब भी ऐसा कि मियाँ
सोचते रहिए कि इस ख़्वाब की ताबीर है क्या-
18 JAN 2022 AT 9:16
आलम से बे-ख़बर भी हूँ आलम में भी हूँ मैं
साक़ी ने इस मक़ाम को आसाँ बना दिया-
17 JAN 2022 AT 7:13
घर वाले मुझे घर पर देख के ख़ुश हैं और वो क्या जानें
मैं ने अपना घर अपने मस्कन से अलग कर रक्खा है-
16 JAN 2022 AT 2:09
हम ने तो दरीचों पे सजा रक्खे हैं पर्दे
बाहर है क़यामत का जो मंज़र तो हमें क्या-
15 JAN 2022 AT 7:10
है एक उम्र से ख़्वाहिश कि दूर जा के कहीं
मैं ख़ुद को अजनबी लोगों के दरमियाँ देखूँ-
8 JAN 2022 AT 1:02
ये एक बात समझने में रात हो गई है
मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है-