रोज़ अच्छे नहीं लगते आँसू
ख़ास मौक़ों पे मज़ा देते हैं-
Shaikh Arshad
(Arshad_Usmani)
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Ek Naye Safar ki Taraf......
Joined 8 August 2019
23 JAN 2022 AT 17:09
ये कैसे ख़्वाब की ख़्वाहिश में घर से निकला हूँ
कि दिन में चलते हुए नींद आ रही है मुझे-
22 JAN 2022 AT 9:28
जाने किस ख़्वाब-ए-परेशाँ का है चक्कर सारा
बिखरा बिखरा हुआ रहता है मिरा घर सारा-
24 DEC 2021 AT 4:27
किस क़दर बद-नामियाँ हैं मेरे साथ
क्या बताऊँ किस क़दर तन्हा हूँ मैं-
14 DEC 2021 AT 8:51
जैसे वीरान हवेली में हों ख़ामोश चराग़
अब गुज़रती हैं तिरे शहर में शामें ऐसी-