बचपन की कुछ खट्टी मीठी सी यादें है हमारी
सुबह से रात तक की लड़ाईयों की कहानी है हमारी
वह बीता हुआ बचपन था
जब एक ही दिन साल में
लड़ाई की दीवार टूटती थी हमारी
क्योंकि मां से पैसे मिलते थे उसे हर बारी
साल का वो एक ही दिन
जब उसके पैर को छूना
और उससे मार ना खाना
पर होती है घर से हर बार दूर वो
पर वक्त से भेजती है
हर बहन के नाम की राखी वो
हा उधार है उस पर
सालों की राखी के तोहफे
जिसके हिसाब रखे है उसने कई सालो से
-