shaifali agarwal   (shaifali.....✒️)
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Joined 7 June 2017


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Joined 7 June 2017
11 JUN AT 16:38

मेरे जीवन का जब अंतिम अध्याय होगा....
चाह होगी मुक्ति की, जीवन मरण के चक्र से ...

तब तुम आना प्रिय अंतिम दर्शन देने मुझे
मृत्यु पश्चात आठ मिनट तक चक्षु कार्यरत रहते हैं न
तब देखूँगी मैं तुमको, सबको भूल जाने के पश्चात
ताकि संसार से विदा लेने के बाद भी
तुम्हारा एहसास सृष्टि के अंत तक मेरे साथ रहे
और फिर रखना मेरे मस्तक पर अपना हाथ
और दे देना मुझे मुक्ति सदैव के लिए
इस संसार में आने जाने की क्रिया से

तुम्हारी.... shaifali.... ✒️

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29 MAY AT 18:03

गहरा है ज़ख्म और ला - इलाज भी
मुझे चारासाज़ नहीं उसकी इक छुअन चाहिए

बेनज़ीर है उसकी आँखों की कटार
जिस्म के हर कतरे पर उसकी ही चुभन चाहिए

उठा दो पर्दा किताब - ए - ज़ीस्त से
हर पहर हर घड़ी अब हमनफ़स से मिलन चाहिए

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16 MAY AT 13:13

जो तुम नहीं मेरे तो भी मैं तेरा दीवाना रहूँगा।
कसम है मुझे जो मुहब्बत से अब ग़द्दारी हो।।

माक़ूल हैं ये दूरियाँ और मुझे मक़बूल भी हैं।
कि हमनवाज़ों में ए'तिमाद -ए -वफ़ादारी हो।।

एक शायर के ख़्याल से खूबसूरत है हिज्र भी।
बशर्ते जुदाई में उम्मीद - ए - मिलनसारी हो।।

और न किया कर तीर -ए - निगाहों से घायल ।
तेरी आँखें... आँखें न हो कर आबकारी हों।।

छलकते हैं मय के पैमाने तेरी इक नज़र से।
जागते हुए भी मैं हूँ जैसे नीम - बेदारी हो।।

और क्या कहूँ पनाह -ए- मुहब्बत में साक़ी।
आगोश तुम्हारा यूँ है कि जैसे राग दरबारी हो।।

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16 MAY AT 9:04

किताब - ए - ज़ीस्त है ये
या कि तुम ही हो
❣️
यूँ ही हर पन्ने पर तो नहीं समाया
अनंत प्रेम तुम्हारा

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26 FEB AT 22:41

वो ग़र कफ़ीस भी है तो भी मेरा ही है,
उसकी मुहब्बत मुझे ख़ुदा सी लगती है।
वो मुस्कुरा दे तो मैं पा लूँ दोनो जहान,
उसकी शिद्द्त मुझे ख़ुदा सी लगती है।।
वो छू ले मेरी शिकन - ए - रूह को बस,
उसकी फुर्कत मुझे ख़ुदा सी लगती है।

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6 FEB AT 15:58




लाज़मी है मोह गहनों का इस बदन को मग़र साथिया,
ज़ीनत-ए-रूह हम आपकी मोहब्बत से किया करते हैं।
फ़ना हो जाते हैं पाकीज़गी-ओ-शिद्दत देख कर आपकी,
क़ुर्बान होने को आप पर बार-बार जनम लिया करते हैं।।

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6 FEB AT 15:46

सुनो न..ओ कान्हा...एक भोर ऐसी हो जब तुम अपने स्वर सुनाने आ जाओ।

🍃❣️🍃

मैं पुकारूँ श्री राधा नाम और भगवन...तुम मुझसे मिलने के बहाने आ जाओ।।

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22 JAN AT 12:58

दो अपने और दो पराये कंधे आएंगे मुझे उठाने को।
सारे रिश्ते दिखावा करते हैं " मैं फ़क़त तुम्हारा हूँ "।।

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22 JAN AT 12:57

दो अपने और दो पराये कंधे आएंगे मुझे उठाने को।
सारे रिश्ते दिखावा करते हैं " मैं फ़क़त तुम्हारा हूँ "।।

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21 JAN AT 13:34

पुष्प की चाह नहीं मुझे
शूलों की सेज पर सोना है
सुना है......
इंतज़ार - ए - मौत में
जितनी दुश्वारियाँ हो
मरने की चाहत उतनी ही
मुक़्क़मल होती जाती है

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