जब पैदा हुआ था मैं तो अरमान लिए खड़े थे पापा तुम मेरे लिए सारा जहान लिए खड़े थे जब कदम रखा था ज़मीं पर पहली बारी पकड़ी थीं तब मैंने उँगलियाँ तुम्हारी
गिरता था जब भी मैं तुम आकर उठाते थे मेरे छिले हुए घुटनों पे तुम मरहम लगाते थे जाने कितनी इच्छाओं को मारा होगा मेरी हर जिद लिए एक मुस्कराहट भी न रखी कभी तुमने खुद के लिए मेरी हर चाहत के लिए तुम्हारा ज़िन्दगी से लड़ना याद है मुझे तुम्हारे उन चार जोड़ी कपड़ों का रंग उड़ना याद है मचला जब भी मेरा मन, तुम पूरी दुकान लिए खड़े थे पापा तुम मेरे लिए सारा जहान लिए खड़े थे मेरे पढने पर तुम्हारा जोर देना याद है
मेरी मेहनत पर तुम्हारा गौर देना याद है याद है वो हर त्यौहार जब मुझको नए कपडे दिलाये थे घिरे जब भी बादल मुझ पर, तुम खुला आसमान लिए खड़े थे, पापा तुम मेरे लिए सारा जहान लिए खड़े थे मैं जो भी हूँ आज हूँ तुम्हारी वजह से अब देखता हूँ दुनिया को तुम्हारी जगह से आज समझ में आती हैं वो तुम्हारी खामोशी और संघर्ष
जब मैं भी बूढा होता हूँ समय के साथ प्रति वर्ष
अब समझा हूँ जा कर दुलार तुम्हारा हर चिंता के पीछे छुपा प्यार तुम्हारा गुस्से में तुम्हारी कुर्बानियों को पल भर में भुलाता थाभटका था मैं जब भी तुम मेरी पहचान लिए खड़े थे पापा तुम मेरे लिए सारा जहान लिए खड़े थे
-