Shahzeb Hasan Abbasi   (शाहज़ेब हसन अब्बासी)
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Joined 19 October 2018


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27 FEB 2022 AT 17:01

ये उसके फैसले है जिसके हक़ में जो भी कर डाले,
किसी को दर दिया अपना, किसी को दरबदर रखा!!

یہ اُسکے فیصلے ہے جسکے حق میں جو بھی کر ڈالے،
کسی کو در دیا اپنا، کسی کو دربدر رکھ۔

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21 MAR 2021 AT 9:12

किरदार में मेरे भले अदाकारिया नहीं है
खुद्दारी है, गुरूर है, पर मक्कारिया नहीं है ।

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16 MAR 2021 AT 19:51

تمکو مجھ سے سلجھنا ہو تو
اپنے آپ میں اُلجھ کر آنا۔

तुम को मुझसे सुलझना हो तो,
अपने आप में उलझ कर आना !

—Unknown

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10 MAR 2021 AT 15:21

क्या इश्क़ है, हमे इश्क़ ने काफ़िर बना दिया
तेरे ही दिल के रस्ते का मुसाफिर बना दिया,

मुस्कुरा के जो कर लेता था, धड़कनों पर राज़
उस सरफिरे को काम से कासिर बना दिया!

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9 MAR 2021 AT 23:59

हम अपने इश्क़ को इस तरहा सजा रखेगें
तेरे बाद सबकी मोहब्बत को कज़ा रखेगें,
और
ये जो पहनाई है तेरे पैरो में पाजे़ब आज
इसपे लिख कर के गज़ल तारीख़ बना रखेगें !

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28 FEB 2021 AT 23:36

एक बात है जो उसको बताने के लिए है
बाकी तो बहाने है, ज़माने के लिए है,

ये इश्क़ के जलवे, ये निगाहें, ये अदाए
दीवाने की धड़कन को बढ़ाने के लिए है,

होठो पे जो लाओगे खसारे में रहोगे
जज़्बात तो बस दिल में बसाने के लिए है,

देखूं में बगीचे में जो कलियो की बनावट
लगता है तेरी मांग सजाने के लिए है,

आंखो में जो पानी है ये गौहर है तुम्हारा
ये अच्छी रिफाकत को बताने के लिए है,

अब ये भी नहीं है कि वो झगड़ा ना करेगे
ये झगड़े मोहब्बत को बढ़ाने के लिए है,

लिखता हूं तेरी यादों में गज़ले में सुबह-शाम
शाहजे़ब तो अब खुद को मिटाने के लिए है!!

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19 FEB 2021 AT 15:47

جیتنے میں تو ہم ماہر ہے،

مگر کہاں پر ہار جانا ہے
یہ ہنر میرے والدین نے مجھے سکھایا ہے۔

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31 JAN 2021 AT 15:30

इस लम्हा-ए-सौगात पे तुझे भूल जाना मुश्किल
ज़िन्दगी तो बड़ी चीज़ है एक लम्हा बिताना मुश्किल,

ये ना सोचा था कि तू एक रोज़ छोड़ जाएगा मुझे
अब इस बात का यकीं दिल को दिलाना मुश्किल,

तेरी यादों ने किया है दिल को परेशां इतना
इस याद-ए-गुलामी से खुद को बचाना मुश्किल,

तेरे मिलने से हसीं होती थी सुबह-शाम मेरी
अब टूटी हुई कश्ती को किनारे पे लगाना मुश्किल,

तेरे आने से महकता था कभी आशियां मेरा
अब इस घर को दोबारा से बसाना मुश्किल,

तू ना होता तो मेरे मेहबूब कोई ना होता
अब इस जगहा पे किसी और को लाना मुश्किल,

इस वजह से मशरूफ है लिखने में सुखन 'शाहजे़ब'
उसके लिए है दर्द किसी को बताना मुश्किल !!

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30 JAN 2021 AT 20:53

मेरी मोहब्बत को वो खैरात समझ बैठे है
इस दिल-ए-नासाज़ को बेकार समझ बैठे है,

हम ने तो चाहा है उसे दिल-ओ-जान से अपने
एक वो कि इस जान को बे-जान समझ बैठे है!!

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28 JAN 2021 AT 17:12

परिंदों को मंज़िल मिलेगी यकीनन
ये फैले हुए हैं इनके पर बोलते हैं,

और वो लोग रहते हैं खामोश अक्सर
जमाने में जिनके हुनर बोलते हैं !!

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