shahnawaz ahmad   (Shahnawaz ahmad)
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Joined 15 February 2018


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Joined 15 February 2018
12 APR 2024 AT 8:37

बाहें खाली ही रहीं इस ईद पर भी मगर हमने,
तेरे शहर की तरफ़ हाथ उठाया और हवा से लिपट गए...

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17 MAR 2024 AT 18:58

रात खुशबू में नहाएगी संवर जाएगी,
अब तेरी याद भी आएगी तो किधर जायेगी,
वो खुश है जो तर्क ए ताल्लुक़ का ज़िक्र होने पर,
कहा करती थी कि गमे हिज्र में मर जायेगी,
वो सादा मिज़ाज लड़की जिसे साजो सिंगार नहीं पसंद,
किसी के खयाल में आने पर निखर जाएगी,
अब के बिछड़े तो शायद इस नाचीज़ की दुनिया,
सांस उखड़ेगी और दुनिया बिखर जाएगी..

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23 NOV 2023 AT 20:47

गमों में कांधा नहीं है,दिलासा ही तो है,
उस शख़्स की यादें , असासा ही तो है,
आओ बैठो फुरसत में तो बताएं तुम्हें,
ये ज़िंदगी क्या है तमाशा ही तो है..

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19 NOV 2023 AT 10:20

मेरे तमाम जज़्बातों की हद,
एक शख़्स तक महदूद है...

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10 JUL 2023 AT 0:33

हाय!इतने किरदार निभाने पड़ेगे..
कब सोचा था!
उबरने में हमको ज़माने लगेंगे..
कब सोचा था!
रकीब(प्रतिद्वंदी) तो सारे मेरे सामने ही थे,
रफीक (दोस्त) भी हमको आज़माने लगेंगे,
कब सोचा था,
हमने ताउम्र सभी को दुआएं दीं,सहारा दिया,
हम ही ऐसे ठिकाने लगेंगे,
कब सोचा था..

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31 MAY 2023 AT 20:29

दो लोग हैं साथ,साथ में उदासी है,
कुछ कहानियां यूं भी तो अधूरी हैं,
हम दोनों हैं साहिलों पर बैठे हुए हंस,
तालाब एक है पर मुलाकातें अधूरी हैं,
ये जो वक्त कट रहा है यही ज़िंदगी है,
कुछ शामें हैं बोझल सी,कुछ रातें अधूरी हैं..

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21 APR 2023 AT 11:09

दर्द सारे ही बांट लेंगे हम,
उसमें मुस्कान छांट लेंगे हम,
तुम एक झलक मुस्कुरा के देख लो सही,
बस इस एक अदा पर उम्र काट लेंगे हम,

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14 MAR 2023 AT 23:17

कई हिस्सों में बांटने लगी हैं मुझे,
उफ्फ ये नींद,ये रातें काटने लगी हैं मुझे,
वो जिनपर चीख पड़ता था मैं तुम्हारी खातिर ,
अब वो खामोशियां डांटने लगी हैं मुझे,
जिन्हें संजो के रखा था ज़ेहन की अलमारी में बड़ी तरतीब से,
वो यादें दीमक की मानिंद चाटने लगी हैं मुझे,

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5 MAR 2023 AT 23:33

जिनके दिल नर्म होते हैं उन्हें रोना मयस्सर है,
तेरा शुक्र है मौला कि मेरी आंखों में आंसू हैं...✍️

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26 JAN 2023 AT 16:56

हर एक सवाल का जवाब लिखा जाएगा,
अब ताबीर के बाद ख्वाब लिखा जाएगा,
हुक्मरान किस गुमान में है कि हमको मिटा देगा,
अब अपने लहू से इंकलाब लिखा जाएगा...

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