Shahid Shaikh   (shahid09_poetry)
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Joined 25 May 2020


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Joined 25 May 2020
23 NOV 2022 AT 23:42

एक बार जो तुम्हारी आवाज सुन लेता हूं,
एक बार जो तुम्हारी आवाज सुन लेता हूं,
दर्द में भी सुकून ढूंढ लेता हूं।
........❤️❤️.........

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20 NOV 2022 AT 13:04

बरसात में तुमको खुद से प्यार करते देखा है,
उंगलियों को तुम्हारी भीगी जुल्फों से,
बातें करते देखा है।
हम तो तब से प्यासे है,
जब से बारिश की बूंदों को ,
तुम्हारे होठों से गिरते देखा है।
.........♥️♥️.........

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14 NOV 2022 AT 22:23

तुम्हारे जाने के बाद हर लम्हा खाली है,
अब तुम्हारे हिस्से का कमरा भी खाली है।
जिन नजरों को तुम्हारी आदत थी,
अब उन नजरों ने,
तुम्हारी तस्वीर आंखों में छुपा ली है।
.........♥️♥️.........

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15 OCT 2022 AT 19:19

जिंदगी के हर सफर में,
तुम्हारा हमसफर बनकर रहना चाहता हूं।
मुश्किलों की भीड़ कितना भी धक्का मारे,
हमेशा तुम्हारा हाथ पकड़ के,
आगे बढ़ना चाहता हूं।
.........❤️❤️.........

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13 OCT 2022 AT 19:10

तुम्हारे हुस्न का दीवाना हूं,
किस नजर से तुम्हारी नजर उतारू।
कहीं मेरी नजर ना लग जाए,
इस डर को मैं दिल से कैसे निकालू।
........♥️♥️.........

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4 OCT 2022 AT 23:52

आज आसमान के नीचे धूप भी ठंडी लगी है।
तुमसे मिलने के बाद बंजर जमीन खिलने लगी है।
आज तलाव ने पानी को रोका है।
बुलबुलों के इशारों से मछलियों ने टोका है।
तुमसे मिलने के बाद मेरी नैया तैरने लगी है।
जमीन की तलाश में किनारे से मिलने लगी है।
.........♥️♥️.........

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20 SEP 2022 AT 22:58

कुछ प्यार के लम्हे तुम भी दो।
कुछ मीठी यादें मैं भी दूं।
तुम मेरी जरूरत हो,
मैं तुम्हारी आदत हूं।
.........♥️♥️.........

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17 SEP 2022 AT 22:29

मैं जानता हूं तुम्हारे भीतर मेरे प्यार को।
सुबह की धुंधली ओस, तुम्हारे सूखे होंठ।
मेरी उंगलियों ने तुम्हारे मखमली हाथों को छुआ है।
जिस घबराहट से तुम पलटी हो,
तुम्हारे आंखों से इश्क झलका है।
कब तक इस मासूम से जज्बात को तुम छुपा कर रखो गी,
कब तक इन अल्फाज को तुम होंठों में दबा कर रखो गी।
........♥️♥️........

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4 SEP 2022 AT 16:50

तुम्हे खोने का डर लगा रहता है,
तुम्हारे जाने से दर्द बना रहता है।
अब तो शीशा भी,
मेरी नकल उतारता है।
मुझसे कहता है,
तू किसकी यादों में खोया रहता है।
.........❤️❤️.........

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21 AUG 2022 AT 20:27

मैंने प्यार की कलम से,
तुम्हारी तस्वीर बना रखी है।
पर अभी थोड़ा काम बाकी है।
मेरी दूर की नजर थोड़ी कमजोर है,
तुम्हारे हुस्न की कुछ बारीकियां,
मैं पास से देखना चाहता हूं।
मेरे इरादे नेक है,
मैं बस तुम्हारी तस्वीर,
मुकम्मल करना चाहता हूं।
........❤️❤️.........

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