मेरा ये इश्क़ समुंदर है नदियों का क्या हिसाब दूंगा मेरी नींदें तो गिरवी हैं किसी को क्या मैं ख़्वाब दूंगा फ़कत ये सोच कर किसी का हाथ नही थामता गर वो तन्हा मिली कहीं तो उसे क्या जवाब दूंगा
तुम मेरे ना हुए तो ना सही हम तेरे थे और तेरे रहेंगे सब स्याह रातें रहेंगी मेरी और तेरे उजले सवेरे रहेंगे मसरूफ़ियतें ये तेरी, लोगों को हों मुबारक तन्हाइयों में तेरी, हम खुशबुएँ बिखेरे रहेंगे तुम मेरे ना हुए तो ना सही हम तेरे थे और तेरे रहेंगे
दिल लगाना चाहता हूं किसी से पर लगाया नहीं जाता भूलना चाहता हूं मैं उसको पर भुलाया नहीं जाता इश्क़ का मामला हीं कुछ ऐसा है मेरे दोस्त ये वो नगमा है जो हर साज़ पे गाया नहीं जाता