Shahid Khan   (Mohd shahid mansoori)
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instagram id- merekhayalat98
Joined 10 April 2020


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Joined 10 April 2020
18 APR AT 22:50

सूखे दरख्तों के नीचे लोग कहाँ बैठते हैं ।
शाखें टूट जाती हैं ,परिंदे जहाँ बैठते हैं ।

देखो वक़्त कितनी तेज़ी से गुजर रहा है।
जहाँ हम बैठते थे,आज बच्चे वहाँ बैठते हैं ।

अज़ीब खेल है मियाँ, ये मोहब्बत का
लोग एक पल में सब कुछ गवां बैठते हैँ।

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18 APR AT 13:26

मर कर भी जिंदा हैं ,आज भी कई लोग,
हम जिंदा होकर भी जिंदा नज़र नहीं आते।

ये तो बच्चों की हिफाज़त का तकाज़ा है,
परिंदे अपने लिए ,कभी घर नहीं बनाते।

ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है,
जो हाथ तो जोड़ते हैं मगर हाथ नहीं मिलाते।

सच की हिमायत कर रहे हैं जो लोगे,
घरों में सच के खौफ से चराग नहीं जलातेl

ये तो अदब में झुका है सर तुम्हारे कदमों में
मौत के खौफ से हम सर कभी नहीं झुकाते

बिन बताए समझाता है जो हाल ए दिल मेरा
हाले दिल उसी को सुनाते हैं हर किसी को नहीं सुनाते

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15 APR AT 21:23

पहुँच कर बुलंदी पर ,बहुत शोर कर रही है ।
अपनी कामियाबी का ज़िक्र हर ओर कर रही है ।

मुफ्त का राशन पा कर खुश होने लगे,बेवकूफों ।
सरकार रोज़गार न देकर हमें कमजोर कर रही है ।

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9 APR AT 0:12

ताक़त दिखाओगे तुम, जब अपनी वोट से।
खाली हो जायेगी कुर्सियां जो खरीदी हैं नोट से।

बदलेगा दौर तो ये सब तुम भी देखोगे।
किस तरहा टूटता है पत्थर,शीशे की चोट से।

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5 APR AT 23:24

आग से ही नहीं हाथ,
वर्फ से भी जल जाते हैं ।

सफर मुकम्बल हो जाता है ,
दरिया जब समंदर मे मिल जाते हैँ।

मोहब्बत पहाड़ों की देखिये ज़रा,
दरिया को जिंदा रखने के लिए खुद पिघल जाते हैँ।

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5 APR AT 11:12

बात इंसानियत की करता है,
कैद पिंजरे में परिंदा रखता है।

अजीब जंगल है ये दुनिया यारो,
यहाँ इंसान ही इंसान को फंदा रखता है।

मौत मेरी दहलीज से लौट जाती है।
इक तेरा ज़िक्र है जो हमें जिंदा रखता है।

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4 FEB AT 23:50

टूटे हुये पत्तों को ,शाखों से जोड़ दे।
सिक्का उछाल ,फैसला किस्मत पे छोड़ दे।
ये सिफ़त खुदा ने, सिर्फ बख्शी है इंशान को
वो चाहे तो अपनी राह का,हर पत्थर तोड़ दे।

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23 DEC 2023 AT 11:21

हलचल सी मच गयी मेरे घराने में
जब बकी नहीं रहा कुछ खजाने

कसूर सरा चिंगारी का नहीं था
हवाये भी शामिल थी घर जलाने में

देखते ही देखते सब खाक हो गया
इक उम्र लग गयी जिसे बनाने में

पगल कहने लगे उसको वो बच्चे
खुद जोकर बन गया जिनको हसने में

इसको भी नये मकां की तलाश है
और मुझे भी नहीं रहना इस जमाने में

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13 DEC 2023 AT 9:49

पिलाकर मुझको मदहोश कर दे।
गुनाहों को जिस्म से रुपोश कर दे।

दुनिया की जिंदगी से आज़ाद हो जाऊं।
अये मौत आ और मुझे खामोश कर दे।

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11 DEC 2023 AT 23:40

कैसे बताऊँ मैं हाल अपना,
कभी निकला ही नहीं तेरे ख्याल से।।
खुशनसीब है वो परिंदे,
जो निकले हैं बच शिकारी के जाल से ।।

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