सूरत-ए-हाल ये है की
मैं, मैं ना रहा तुझमें खोकर !
और तुम, तुम से अब
कोई और होगए l-
Shahbaz Alam
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नही मालूम जब मंजिल कल की, करू क्यों इन्तेज़ा मै उस पल की....।।।
Joined 10 November 2019
26 FEB AT 15:34
3 JAN AT 17:42
एक बात थी कहनी तुमसे,
तुम ख़्वाब सी लगती मुझको
ना खोलू आंख मैं अपनी ना जागूं रात को यूंही
तुम सुबह भी लगती मुझको
जब रात को नींद ना आती
एक नूर जो चेहरे पे तेरे
नईं सुबह सी लाती मेरे !-
23 JAN 2024 AT 11:09
बेवक्त ही सही मुझे वक्त ने पुकारा,
मैं आज नहीं मुझे कल ने पुकारा
ये डर की हकीकत तुम समझोगे नहीं,
असल तुम्हें आज ने जीना मुझे कल ने सिखाया।-
12 OCT 2023 AT 0:00
अब कास की वो समझते मुझमें बाकी नहीं कुछ खुदा का,
मैं तो अपना भी ना रहा अब जब उजड़ गए घर परिंद का,
वो कहते रहे खुदा है वहां मुझको ख़ाक दिखा मुकद्दर का
अब सिलसिला भी रुकता नहीं ये रास्ता जो ख़त्म सा।
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