छोड़ ज़माने को,मग़रुर हो जायेंगे,
तुम जो याद आये!, तो आयेंगे ।
रस्म-ए-वफ़ा ना भायेंगी बहोत,
ग़म-ए-ज़दा रात आयेंगी बहोत ।
खुशनुमा पल जब उम्र में ढल जायेंगे,
हैरत-ए-अंदाज़, याद हमारे आयेंगे।
नेकी ये ज़माना भूल जायेगा 'सनी' ,
याद तो रहूंगा!,थोड़ी ख़राबियाँ ही सही!
-