Shagufta Abbas   (Shagufta)
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An incomplete poet..
मैं वही, मेरे अलफाज़ वही, बस क़लम की जगह कीबोर्ड ने ले ली।।
Joined 31 May 2017


An incomplete poet..
मैं वही, मेरे अलफाज़ वही, बस क़लम की जगह कीबोर्ड ने ले ली।।
Joined 31 May 2017
19 APR 2022 AT 4:44

Mohabbat ka waqt chahe kitna bhi mukhtasar kyun na ho..

Magar ho aise, pehla ISHQ ho jaise...

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3 NOV 2021 AT 23:33

Suno,
Kabhi koi aisa shakhs mile na, jo tumse kahe ki "Tumhare lie main tamam faaslon ko tay kr sakta hun bs tum haath aage badhao"
To yaqeen maano Tum haath aage badhao...
Qunki wo kya hai na -mohabbat ki Daleel dene wale tumhe har Afsane me mil jaenge...pr Faaslon ki bat krne wale bs kabhi kabhi||

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26 AUG 2021 AT 21:28

"Mujhe sirf tumse nahi
Un tamaam cheezon se mohabbat hai, jo mujhe tumhare qareeb laati hai!!"

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3 AUG 2021 AT 14:55

ख़त
आज कि तारीख़ याद है तुम्हें?
आज हमें अलग हुए तीन साल हो गए।।इन तीन सालों में कितना कुछ बदल गया ना। पर अब भी बस एक चीज़ जो नहीं बदली वो मेरा तुम्हें ख़त लिखना।।
तुम कहा करते थे ना, वो बात मैसेज मे कहाँ जो तम्हारी ख़त मे है।।इसलिए आज भी हर महीने तुम्हें एक ख़त
लिखती हूँ।।पहले पहल तो दिल के हालात थे उसमें, अब बस तुम्हारी ख़ैरियत और बदली हुई चीज़ें।।
अरसा बीत गया और मैं तुम्हें ख़त लिखती रही शायद इस उम्मीद में, कि कभी तुम्हारा जवाब आएगा।
हमारे जो कुछ कॉमन दोस्त थे ना वो कहते हैं कि अब तुम्हारा पता बदल गया है, उस जगह अब तुम नहीं रहते, जिसकी दहलीज़ पे बैठके हम दुनिया जहां कि बातें किया करते थे, हज़ारों सपने देखा करते थे।।
पर पता है तुम्हें शुरू शुरू में तुम्हारे जवाब का इंतज़ार रहता था, पर अब तो मुझे लिखने की आदत सी पड़ चुकी है।। अब मेरे ख़त तुम्हारे जवाब का इंतज़ार नहींं किया करते।।शायद अब मैं ख़ुद ही अपने ख़त का जवाब ढूंढ लिया करती हूँ।।और हमारे बीते लम्हों को याद कर लेती हूँ।।
और अब इसी में सुकून है।।

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19 JAN 2021 AT 3:00

लिखावट

मुझे ऐसे लोग बहुत पसंद है जो अपने ज्ज़बात को अल्फाज़ का रंग देते हैं।।
ज़रूरी नहीं कि सबको आपकी लिखावट पसंद आए।।
पर ख़ुद के सुकून के लिए लिखना ज़रूरी है, खुद के एहसास-ओ-जज़्बात को ज़हिर करने के लिए लिखना ज़रूरी है।।
हो सकता है बहुत लोगों को आपकी लिखावट समझ ना आए, पर ये भी तो हो सकता है उन बहुत लोगों में
से शायद एक आध को आपकी लिखावट में सुकून मिल जाए।।।तो उस सुकून के लिए लिखो, टूटे - फूटे अल्फाज़ में ही सही पर लिखो।।
क्यूँकि एहसास को अल्फाज़ देना, उसे दबा के रखने से बेहतर है।।

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17 MAY 2020 AT 4:02

Duniya ki sbse behtareen raat aur ehsas

wo hai jisme aap laylatul qadr ko mehsoos

karte ho..

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22 APR 2020 AT 23:06

Ye konsa ajeeb rishta hai hmare darmiyan

Jo muqammal bhi nahin ho sakta aur jisse door bhi nai ja sakte

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9 APR 2020 AT 3:33

ज़ुल्म ज़माने का हमपे बढ़ता चला गया,

और हम फ़िरक़ों में ही बंट कर रह गए।।

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7 JAN 2020 AT 2:25

कितने अफसोस कि बात है, विद्यालय जिसे हम विद्या का मंदिर कहते हैं, उस जगह तक को घिनौनी राजनीति का हिस्सा बना लिया गया।।
और लोग अब भी ख़ामोश हैं।।
या डर लग रहा है आपको की आपकी अंधभक्ति न खत्म हो जाए।।
या ज़ुबान खोलने पर अगला शिकार आप न हो जाएं।।
आपका ज़मीर बिक चुका है ये बात जानते हैं हम, पर अपने अंदर के इंसानियत को कैसे मरने दिया आपने??

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18 DEC 2019 AT 13:37

जो हक़ की बात कह न सको तुम,

तो यक़ीन मानो। तुम आज भी ग़ुलाम हो।।

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