ShadesOfWriting   (अनकहे_अल्फ़ाज़)
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Joined 6 December 2018


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16 APR 2022 AT 19:39

चाँद और मैं देख रहे थे एक दूसरे को
एक वो अकेला और एक मैं ।

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30 OCT 2021 AT 11:33

गुजरता वक़्त

पहले जिसको कॉल करने से पहले भी सोचना नहीं पड़ता था
आज उसे एक मैसेज करने के लिए कई दफ़ा सोचना पड़ रहा है
और जवाब मिलता है - शायद इस वक़्त नहीं करना चाहिए
अभी तो सुबह ही हुई है ... क्या पता मेरी किसी बात से उसका मूड ऑफ हो जाये !
अभी तो 11 बज गए है ... क्या पता वो किसी काम में लगा होगा !
अब 2 बज गए हैं ... शायद अभी खाना खाया ही होगा , आराम के समय आराम करने देना ही ठीक है !
शाम हो चुकी है , मौसम भी अच्छा है ... उसका वक़्त अच्छा निकल रहा होगा !!
अब तो रात हो गयी चलो अब बात कर लेते हैं ... तभी अंदर से एक आवाज़ आती है -- रहने दे , तुझे मूड खराब ही करना आता है, कुछ सही नही होता अब तुजसे ....
यूँ सोचते सोचते मेरा वक़्त गुज़रता जाता है .. और उससे 2 मिनट बतियाने की ख्वाइश दिल में ही रह जाती है ।

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10 JUN 2021 AT 22:03

सोचती हूँ बात करूँ तुमसे
फिर रहने देती हूँ
ऐसा ना जाने दिन में
कितनी दफ़ा करती हूँ ।

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1 NOV 2020 AT 22:27

हर किसी की किस्मत में नहीं था तय कर पाना ।

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1 NOV 2020 AT 17:07


वो भूल गए नाम भी हमारा
एक हम हैं जो उनका दिया नाम तक ना भूले ।

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27 SEP 2020 AT 22:19

ना जाने कितनी दफ़ा टूटा है
फिर भी तू आस लगाए बैठा है !
जो ना हुए तेरे कभी
उनके लिए भी तू हरदम रहा है ।
तुझे ना समझा कोई
तूने हर तकलीफ को समझा है
तोड़ते हैं वादे लोग पल भर में
और रातभर जागकर तू रोता है ।
छुपाकर ज़ख्मों को जमाने से यूँ
खुशफ़हमी दिखाये फिरता है ।
कहते हैं लोग चाहतें होती हैं तुझसे शुरू
और नफरतों का इल्ज़ाम भी तुझपर लगा है ।
क्या तुझमें कोई अहम् नहीं ?
या तूने रिश्तों को उससे ऊपर रखा है !
होता है मन कभी देखूँ तुझको
आखिर किस तरह तू इतना सहता है ?
शायद तब करें ये आँखें यक़ीन
तू हमीं इंसानों में बसता है !
ना जाने कितनी दफ़ा टूटा है
फिर भी ए-दिल तू आस लगाए बैठा है !
बना दे मुझको भी अपने जैसा
हैरान होगा तू मगर, मुझे होना तुझ-सा है ।

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17 SEP 2020 AT 23:46

कभी अस्क बहें तो बहने दो
पर कुछ बातें अपनी, अपने तक ही रहने दो
मनगढ़ंत कहानी कहेगी दुनिया तुम्हारी ख़ामोशी पर
उसका काम है कहना , उसे तुम कहने दो
अच्छी नहीं इतनी नज़दकियां हर किसी से
कुछ लोगों से दूरियां भी तुम रहने दो
बिखरे हैं जो ख़्वाब कुछ समेट लोगे कल को
इन ख़्वाबों की वजह से खुद को मत बिखरने दो ।

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13 SEP 2020 AT 16:55

चुभन

कभी कभी किसी के खामोश रहने से
कभी किसी के कुछ गलत कह देने से
तो कभी किसी के हमारे मुताबिक ना बोलने से
कभी कभी ये बोलना, ना बोलना चुभता बहोत है
कोई मर्ज़, कोई दवा तो होती होगी इसकी भी
इस चुभन से कम्बख्त, दिल दुखता बहोत है ।

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11 SEP 2020 AT 0:54

शिक्षा इतनी सी तो हर इंसान को मिले, कि
ना बुढ़ापे में माँ बाप सड़क पर
और ना कोई बच्चा कचरे के ढ़ेर में मिले ।

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1 SEP 2020 AT 13:24

कभी आना कभी चले जाना
कमाल है तुम्हारा ये टूटकर भी
हमेशा बने रहना ।

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