गुजरता वक़्त
पहले जिसको कॉल करने से पहले भी सोचना नहीं पड़ता था
आज उसे एक मैसेज करने के लिए कई दफ़ा सोचना पड़ रहा है
और जवाब मिलता है - शायद इस वक़्त नहीं करना चाहिए
अभी तो सुबह ही हुई है ... क्या पता मेरी किसी बात से उसका मूड ऑफ हो जाये !
अभी तो 11 बज गए है ... क्या पता वो किसी काम में लगा होगा !
अब 2 बज गए हैं ... शायद अभी खाना खाया ही होगा , आराम के समय आराम करने देना ही ठीक है !
शाम हो चुकी है , मौसम भी अच्छा है ... उसका वक़्त अच्छा निकल रहा होगा !!
अब तो रात हो गयी चलो अब बात कर लेते हैं ... तभी अंदर से एक आवाज़ आती है -- रहने दे , तुझे मूड खराब ही करना आता है, कुछ सही नही होता अब तुजसे ....
यूँ सोचते सोचते मेरा वक़्त गुज़रता जाता है .. और उससे 2 मिनट बतियाने की ख्वाइश दिल में ही रह जाती है ।
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