हां हर मोड़ हर कदम हर परेशानी में साथ तो पूरा देंगे
मगर ये जो दोस्त है , दुश्मन बने तो इन्तिकाम बदतरीन लेंगे
मैं सोचता हूं कि मेरे ख्वाबों की इक छोटी सी दुनिया
इससे ज़्यादा अपनी नींद से भला काम क्या लेंगे
तुम जो देखते हो तो बारहा इसमें ताज़्जुब कैसा
मुनाफ़िक़ है, मगर खुदा का नाम तो ज़रूर लेंगे
ना मरासिम, ना कोई गुफ़्तुगू, ना कोई मलाल
अब वो भूल जाने का वादा भी भला हम से क्या लेंगे
हम तो है इश्क़ की बाज़ी में हारे हुए, मारे हुए
ये अदना से लोग भला अब हमारा इम्तिहान क्या लेंगे
ये दुनिया है यहां तो आसां है कि जीत जाओ तुम मगर
वहां खुदा के सामने, सोचो मज़लूम बदला क्या लेंगे
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