Shadab Nanautvi   (Shadab Nanautvi ✍)
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Joined 21 November 2019


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Joined 21 November 2019
13 APR AT 17:09

Qissay meri ulfat ke jo marqoom hain saare.
Aa dekh tere naam ke mosoom hain saare.

Shayed yeh zarf hai jo khamosh hun ab tak.
Warna to tere aib bhi maloom hain saare.

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23 MAR AT 19:06

नक़्शा उठा के कोई नया शहर ढूंढिए
इस शहर में तो सब से मुलाक़ात हो गई....

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27 FEB AT 18:14

वाक़िफ ही ना था रम्ज़-ए-मोहब्बत से वो वरना
दिल के लिए थोड़ी सी इनायत ही बहुत थी

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22 JAN AT 16:56

किसी और ही बात से उतरा है चेहरा साहब,
और हम सबको बताते फिर रहें हैं तबीयत खराब है।

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21 JAN AT 0:11

सोचिए तो सबब नहीं मिलता
दिल मगर उससे अब नहीं मिलता
और दिल का झुकना बहुत जरुरी है
सिर्फ सर झुकाने से रब नहीं मिलता

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17 JAN AT 20:28

हैरान कर गया सभी को मुंसिफ का फैसला
रिंद को सजा ना मिली काज़ी नशे में था

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13 JAN AT 0:01

उसी को खलने लगी रोशनी मेरे घर की
मेरे चराग़ से जिस के चराग़ जलते है

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12 JAN AT 1:27

रखते ही बदन वो कुर्सी पर ;
आसमां सर से हटा देते हैं !!

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7 DEC 2023 AT 15:53

ये औरत का करिश्मा है तिरी वहशत के पानी को
बदन के सीप में रखकर उसे इंसां बनाती है।

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29 NOV 2023 AT 14:50

میرے گاؤں کی چوپالوں پر اکثر بیٹھے رہتے ہیں
چائے کی اک پیالی پر اپنی رائے بدلنے والے لوگ

मेरे गाँव की चौपालों पर अक्सर बैठे रहते हैं
चाय की एक प्याली पे अपनी राय बदलने वाले लोग

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