जुर्म के तसव्वुर में गर ये खत लिखे तुमने, मेरी नज़र में फिर जुर्म किये तुमने,जुर्म ही क्यों किये जायें,
खत ही क्यों लिखें जाए।- Shadab Ansari
19 JAN 2020 AT 8:20
जुर्म के तसव्वुर में गर ये खत लिखे तुमने, मेरी नज़र में फिर जुर्म किये तुमने,जुर्म ही क्यों किये जायें,
खत ही क्यों लिखें जाए।- Shadab Ansari