Shabina Khan   (Shabina khan✍)
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Student👩‍🎓|| Delhi University
PG 📚|| 2nd October👶
Writer ✍ || Music Lover🎶
Joined 31 December 2019


Student👩‍🎓|| Delhi University
PG 📚|| 2nd October👶
Writer ✍ || Music Lover🎶
Joined 31 December 2019
29 MAY 2021 AT 19:05

अपने मन में देखो मिल जाऊंगी।
प्यार का फूल बनकर खिल जाऊंगी
तू प्यार से जो देखे मुझे मैं सवर जाऊंगी।
तेरे इश्क़ मे सुहागन होकर निखर जाऊंगी।
तू एक बार पूछें जो हाल मेरा मैं बिखर जाऊंगी।
तू जिंदगी है मेरी-तेरे सिवा कहाँ जाऊंगी!
तेरे घर में आकर तेरा आँगन महका जाऊंगी।
तुझे प्यार करूंगी और बेन्तेहां सताऊंगी।
तेरे ही रंग में मै रंग जाऊँगी।
तेरे संग ही अपनी दुनिया बसाऊंगी।
अब तेरे सिवा मैं साजन कहाँ जाऊँगी!
तेरे बिना जीते-जी मर जाऊंगी।
तुम्हारे बिना अब एक पल भी मैं ना रह पाऊंगी।

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7 JAN 2022 AT 13:42

पहला प्यार

याद है मुझे तुम्हारा पहला प्यार
वो तुम्हारा मेरे करीब आना
और मेरी धड़कनो का एकाएक बढ़ जाना

वो तुम्हारा मेरे बालों से खेलना
और मेरा यूँ ही इठलाना

वो तुम्हारा मेरे नजदीक आना
और मेरा शर्म से आँखे बंद करना

वो तुम्हारा धीरे से मुझे बाहों मैं भरना
और प्यार से मेरे होंठों को चूमना

याद है मुझे हर एक एहसास
हाँ याद हैं मुझे तुम्हारा पहला प्यार

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1 JAN 2022 AT 9:59

ज्यादा खुश होने की जरुरत नहीं है
सिर्फ साल बदला हैं जिंदगी नही ।

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26 SEP 2021 AT 10:18

मौन हिंदुस्तान

हवा सी बेचैन वो लड़की
खिलखिलाती हुई घर से निकली
अभी कुछ आगे बढ़ी ही थी कि
अचानक आहट हुई एक

आहट कुछेक कदमों की
जो बढ़ रहे थे उसकी और
फिर एक तेज़ हमले के साथ
घसीट ले जाया गया उसे
वीरान झाड़ियों में

जहाँ रौंदा गया उसे
उसकी अंतिम श्वास तक
फिर उसे वही मरता छोड़
गायब हो गए कई पदचिन्ह

और फिर एकाएक आवाज
मिली उन सिसकियों को और
जागा हिंदुस्तान

धरना प्रदर्शन , कैंडल मार्च ,
फाँसी दो - फाँसी दो के
नारे से गूंज उठा हिंदुस्तान

लेकिन फिर दो दिन के
शोर के बाद खो गई
वो गूंज और
मौन हो गया हिंदुस्तान

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20 SEP 2021 AT 21:48

औरत को चरणों की धूलि समझने वाले पुरुष जाति
यह तो समझते ही होगें ना
की यदि धुल का एक भी कण नेत्र में चले जाए
तो मनुष्यों को त्राहि त्राहि कर देता हैं ।

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11 SEP 2021 AT 22:38

आदत है मुझे इस उदासी की

क्योकिं वो मेरा साथ नही छोड़ती इन खुशियों की तरह

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4 SEP 2021 AT 13:43

कोठा

शहर की उन बदनाम गलियो के बीच
चार दीवारो से घिरा वो मकान

जहाँ लाई जाती हैं रोज नई-नई लाशे
बिछाई जाती हैं रोज एक सेज

दिन के उजाले में उन्हे वेश्या
कहने वाले , शाम ढलते ही
पहुँच जाते है उनकी चौखट पर

और फिर
होठों पर मुस्कान लिए
नुचवाती हैं वो अपना जिस्म
हवस के भूखे कुत्तो और गिद्धो से

अपने चूल्हे की आग जलाने के लिए
बुझाती हैं वो कई जिस्मों की प्यास

गला कर अपनी देह को
समाज की बेटियों को
सुरक्षित वो कर जाती हैं !

फिर भी देखो किस्मत उसकी
चरित्रहीन और बदचलन वो
कहलाती हैं ।

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4 JUL 2021 AT 23:48

एक अलग सा नशा हैं । तुम्हें देखने का
रात बीत जाती हैं पर आखें नही थकती ।

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1 JUL 2021 AT 1:01

हम अभी तक तुम्हारी याद में वही रुके हुए हैं !
तुम हो की रास्ते पर रास्ते बदले जा रहे हो !

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24 JUN 2021 AT 1:33

बदला बदला सा क्यू हैं तुम्हारा मिज़ाज
हमसे हैं कोई शिकायत या अब कोई और हैं तुम्हारे लिए खास?????

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