Dost kam hai mere, lekin kya farak padta hai?
dosti to jyada hai naa..-
Poetry in DNA.
Writes in Hindi | Gujarati.
मातृ भाषा से ब... read more
फिर से मिलना है तुम से ज़िंदगी के उसी मोड़ पर जहाँ हम पहली बार मिले थे,
इस बार फिर से सब कुछ पा लेने के लिए नहीं, नजरअंदाज करने के लिए..-
कभी ना कभी हर कोई अपनी कहानी नहीं
कहता है दुनिया को क्यूँकि वो चाहता
है कोई किसी और को ग़लत ना समझे।-
नहीं फ़रक पड़ता मुझे "मेरे साथ क्या हुआ" से!
मुझे फ़रक पड़ता है "मैंने क्या किया" से।-
मैं कविताएं लिखता नहीं कुछ जताने के लिए,
मैं लिखता हूँ केवल प्रेम फैलाने के लिए।
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कर्म करो, फल की चिंता मत करो।
-Shree Krishna
यकीन मानो दोस्त, आपका कर्म व्यर्थ नहीं जाएगा। एक न एक दिन आपको फल मिलेगा और मीठा मिलेगा।-
बेशक, कलम की श्याही खत्म हो सकती है,
लेकिन कलम की ताक़त नहीं।
तुम मेरी वही ताक़त हो।-
बस यही एक आस है-
मैं जिनसे मिलूं उन्हें अपना बना लूं,
और मैं उनका हो जाऊं।
प्रेम हूँ मैं,
प्रेम बाँटू और अपना नाम बनाऊं।
मेरे साथ होने से, हर एक चेहरे पर मुस्कान हो,
जब जाऊं तब शत्रु के आंखों में भी अश्रु हों।
बस यही एक आस है-
मैं निमित हूँ, और अपनों की खुशियों का
निमित्त बनना चाहता हूँ।-
जहाँ रात के 3 बजे भी पूरे जोश के साथ गरबा खेलते थे,
वो गुजरात आज शांत है,
CORONA तेरे कारण ही आज एकांत है।
जहाँ गली-गली-नुक्कड़ में,
डांडिया के टकराने से गूंज होती थी,
वो भी आज शांत है,
CORONA तेरे कारण ही आज एकांत है।
"NAV"ratri को "NO"ratri बना दिया,
हमारे जीवन को अनिश्चितकाल ही स्थिर कर दिया,
देख! आज सारे पंडाल और जगरात्रे शांत है,
CORONA तेरे कारण ही आज एकांत है।
माँ आद्या शक्ति से यही प्रार्थना है,
जल्द ही डांडिया की गूंज और
गरबा के ताल सुनाई दे,
उम्मीद की एक किरण हमे भी दिखाई दे।
फिर ना ही कुछ शांत हो,
CORONA के कारण अब ना ही कोई एकांत हो।-
जिस साथ को असल जिंदगी में साथ होना चाहिए था,
वो केवल मेरी कविताओं में साथ है।-