कौन रोता है तअल्लुक़ को भी ता’देर जनाब,
सब चले जाते हैं,,,,बस एक सिपारह पढ़ के!
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तुम्हारे दायरे मैं हूं, एक उम्र से मेहवर -ए -गर्दिश,
मेरा मरकज नहीं बदला, मेरा मेहवर नहीं बदला।।
❤️❤️❤️
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छोडना चाहो तो कमियां बहुत है मुझे,
निभाना चाहो तो खूबियां भी कम नहीं!!-
तेरी दहलीज पर इकरार की उम्मीद लेकर,
फिर खड़े है,तेरे इनकार के मारे हुए लोग।।!-
आप सभी को होली की शुभकामनाएं , रंगों के इस त्यौहार पर खूब प्रेम बाटे ।
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मैं वो किताब हूँ जिसे
पढ़ने के बाद लोग....!
तर्जुमे के लिए
तेरी तरफ देखेंगे....!!!!!!-
मैं ज़िंदगी में आज पहली बार घर नहीं गया,
मगर तमाम रात दिल से माँ का डर नहीं गया
बस एक दुख मेरे दिल से उम्र भर न जाएगा
उसे किसी के साथ देख कर मैं मर नहीं गया
~ तहज़ीब हाफ़ी
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इश्क़ मशहूर तो है कई मूल्कों का साहब...
लेकिन बात वफ़ा की हो तो मिसाल हिन्दुस्तान की देते हैं....💞-
ख़त्म हो जाएँ जिन्हें
देख के बीमारी-ए-दिल
ढूँड कर लाएँ कहाँ से
वो मसीहा चेहरे!!
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ना जाने कौन दिखाएगा,
तुम को खवाब अपना
न जाने किस का मुक़द्दर,
तुम्हारी आखें हैं!!-