Shabbir   (Shabbir)
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Joined 5 August 2019


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Joined 5 August 2019
11 APR 2020 AT 12:46

Hame mehfilo mein badnam
karke,
Uska harjana tum kya doge.
Jis din tum hame kho doge,
Us din muskurate hue bhi ro
doge.

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18 DEC 2020 AT 12:05

जुदाई सहने की आदत सी हो गए है!
गम ना कहने की आदत हो गयी है।
होके जुदा लिया यार ने जीने का वादा!
अब तो आंसूं पिने की आदत सी हो गए है।

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16 NOV 2020 AT 15:36

अपने दिल की तन्हाई में,
हम कुछ इस कदर खोई है।
जिन रातों मैं दुनिया सोया करती है।
उन रातों मैं तुम्हे याद कर रोइ हैं।

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11 OCT 2020 AT 7:33

जहाँ पैसे की दम पर होते है,
कानून की ऐसी की तैसी!!!
उसे कहते हैं डेमोक्रेसी।

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7 OCT 2020 AT 10:31

Nend aa rahi hai bol kar,
koi puri raat jaghta tha.
Kya bataon ae dost!!
woh online wala green logo,
Dil main kitana chubata tha.

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5 OCT 2020 AT 0:21

गम इस बात का नहीं,
कि अब तुम.....तुम नहीं।
इश्क किया था हमने,
कोई जालसाजी या फरेब नहीं।
गम तो सिर्फ इस बात का है!!
कि तुम्हने उन लोगों से मशवरा लिया,
जिन्हे खुद के इश्क का कोई पता नहीं।

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22 SEP 2020 AT 9:47

तुम से दूर रहकर,
ऐ सिद्दत-इ-इश्क़ तो बढ़ती ही जा रही है।
क्या कहूँ, कैसे कहूँ,
ये दूरियाँ तो तुम्हे मेरे ही करीब ला रही है।

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16 SEP 2020 AT 8:48

ऐ किस तरह का रिस्ता है आपका मेरे साथ,
मुझे ही छोड़ जाने का मशवरा मेरे साथ!!

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29 AUG 2020 AT 10:02

चलो बद किरदार ही सही,
लेकिन हम झुटे तो नहीं हैं!
नसीब किसी के हम से फूटे तो नहीं है!

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21 AUG 2020 AT 8:47

Kabhi kabhi dushman bhi sharmasar ho jate hain,
Ke dost kuch aisa kar jate hain.

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