Shabana Nafees   (फ़िज़ूलियत)
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Writing gives mental orgasm
Joined 12 December 2016


Writing gives mental orgasm
Joined 12 December 2016
15 MAR AT 23:08

एक रोज़ तो जीयेंगे अपनी मर्ज़ी से
कट गई उम्र सारी इसी ग़लतफ़हमी में

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15 MAR AT 7:21

न पायदार है इंसान की फ़ितरत मौसम के मिज़ाज की तरह
तू भी दिल से उतर जाएगा एक रोज़ जिस्म से पैरहन की तरह
वो जो हमनवा - हमनफ़स हुआ करता था मेरा कभी
एक अरसे बाद कल मिला बाज़ार में किसी ना महरम कि तरह

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13 MAR AT 3:04

कुछ लम्हें कुछ चेहरे कुछ दर्द... धुंधली सी याद में
खोया हुआ वक़्त निकल आया आज पुरानी दराज़ से

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13 MAR AT 2:37

यूँ तो पहचानते नहीं मिलते हैं जब मतलब से मिला करते हैं
अबके लोग दिलों में दिमाग़ लिए फिरा करते हैं
बातें ईमान वाली मगर बात बात पे ख़ुदा बदलने वाले
मैने देखा है लोग कैसे अपने क़िरदार से गिरा करते हैं

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26 JAN AT 23:28

हक के लिए लड़ते लोग,
हैं दुनिया के सबसे खूबसूरत लोग।

सवाल पूछते लोग-
हैं गणतंत्र के असली राजकवि ये लोग।।

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19 JAN AT 19:50

हर हादसा करा गया एहसास लाचारी का इस क़दर
मुँह फेर लेता हूँ मैं अब हादसा होता है जिस तरफ़

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17 JAN AT 7:32

उतरते हैं उचाईयों से बड़ी गर्म जोशी से
उम्र हो या दरिया बहते हैं ढलान पे ख़ामोशी से

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16 JAN AT 5:41

सूरत ए हाल रहती कहाँ एक जैसी हमेशा के लिए
सूरज ग़ुरूब शाम को होता है सहर में निकलने के लिये

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16 JAN AT 5:22

मेरे क़िरदार की हद्द यूँ तो कुछ नहीं
फ़राख़ हूँ तो समंदर जैसा,
सिमट जाऊं तो एक मुट्ठी में

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16 JAN AT 4:23

धूप शिद्दत की जब होगी मुसाफ़िर पनाह कहाँ पाएंगे
मुद्दत लगेगी नय शजर जब पुरानों की जगह ले पाएंगे

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