लोगों का बदलना सुना था
मगर तुम तो बिगड़ गए...!
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सूखते कई गुलाब देखे
कहा जाना था जिन अल्फाजों को किसी से
बंद डायरियों में मैंने कई राज़ देखे-
🥀🕊️💔✍🏻
इतनी सिद्दत से लिखते है
दिल - ए - अल्फाज हम
हाए मुर्शिद...
कोई तो समझता होगा
दिल - ए - एहसास मेरे
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खामोशियों छायी है इस कदर दरमियान
कि बात किए एक अरसा हो गया.....,
दर्द - ए - ग़म तो इतने दे रही है ये ज़िंदगी
कि मुस्कुराये हुए एक अरसा हो गया...,!
🥀 🕊️ 💔-
तुझसे मोहब्बत करने से फुर्सत मिले तो,
तेरे दिए ज़ख्मों का हिसाब लगाऊँ...!
🥀 🕊️ 💔-
ये अच्छे दिनों का जुमला रहने दो यार
तुम मुझे पुराने दिन ही लौटा दो यार...!
🥀 🕊️ ❤️-
ना छोड़ा जा रहा है ना सहा जा रहा है
और है कुछ लोग एसे भी
जिन्हें हमारी ऐसी हालत देख मजा आ रहा है
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तुझ से मिल के जाना था
इश्क - ए - सुकून मैंने
तुझसे बिछड़ के
दर्द - ए - ज़िंदगी भी जान ली मैंने ✍🏻-
चुन लिया हमने
जब से मुँह मोड़ लिया उसने
ख्वाब, खयाल, सवाल, जवाब
सब बे - मतलब लगते है
जब से हमे मतलबी समझ लिया है उसने-