शायर-सर् फ़िरा   (मस्ताना अंकित)
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में कम लिखूगा, तुम ज्यादा समझना।।
Joined 26 October 2018


में कम लिखूगा, तुम ज्यादा समझना।।
Joined 26 October 2018

भीड़ थी बहुत उसके दिल में, इससे हम तन्हा अच्छे है,
वो जो खेल रहे थे हमारे जज़्बातों के साथ,
वो सायद अभी बच्चे है,
नादियो सी चालाकिया लिए फिर रहे है वो,
हम समुंदर से शांत अच्छे है,
अब जानते है उनके किरदार को क़रीब से बिलकुल,
वो सोचते है हमे कुछ भी मालूम नहीं,
उनके ये झूठे ख़्वाब भी कितने अच्छे है,
फिर किनारा ही कर लिया हमने उस भीड़ भाड़
वाली मंज़िल से क्यूकी किरायदार बहुत है,
और इससे हम #awara अच्छे है!

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आज मुस्किल है वक़्त, क्या साथ चल पाओगी ?
भटका हुआ हूँ मंज़िल से , क्या तुम रहाँ दिखाओगी ?
मैंने कहा ठीक हूँ में, क्या तुम बिना सवाल किए मान जाओगी ?
प्यार के हज़ार ख़्याल लिए बैठा हूँ में, क्या तुम जवाब दे पाओगी ?
मुसाफ़िर हूँ दुनिया की नज़ारो में मैं,
क्या तुम इस सफ़र में साथ आओगी ?
आज कोई नहीं है इस राहगीर के साथ,
क्या तुम साथ चल कर हमसफ़र बन पाओगी ?
मेरी कोरे काग़ज़ जैसी ज़िंदगी को क्या तुम अपने रंगो से भर पाओगी?
क्या तुम अपने हज़ार चाहने वालों में से मुझे प्राथमिकता दे पाओगी ?
सवाल ये है कि तुम्हें प्यार भी है मुझसे,
जो में कहूँ कुछ तो वक़्त आने पर कर जाओगी ?
आज मुस्किल है वक़्त, क्या साथ चल पाओगी ?

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हो सके तो लौट आओ प्रिय, अब इस दिल को और ना दुखाओ प्रिय, तुम तो सब जानती हो हाल-ए-दिल बेक़रार, इस आवारा को अब और ना सताओ प्रिय, दुख दर्द और पीड़ा इस कदर है बस पूछो मत तुम आओ अब बस और ना मुझे रूलाओ प्रिय…

हो सके तो लौट आओ प्रिय !!

में तो अल्हड़, नादान आवारा, लेकिन तुम तो समझदार हो ना प्रिय, अब इतनी देर ना लगाओ की में हो जाऊँ ख़ाक-ए-बर्बाद प्रिय, आके हाथ थाम लो बस इस दिल को सम्भाल लो, तुम बिन ज़िंदगी जैसे नीम अब चली भी आओ प्रिय थोड़ी मिठास घोल जाओ प्रिय…

हो सके तो लौट आओ प्रिय!!

में अब भी तुम्हारे इंतज़ार में हूँ, बस तुम्हारे ही प्यार और ख़्याल में हूँ, कुछ तो सोचो मेरे बारे में, ज़िंदगी के बीच मज़दार में हूँ, तुम चली गई हो छोड़ कर मुझे यही कुछ दो-चार दिन पहले की बात है, लगता है अरसा हो गया अब आके एक बार तो अपनी आवाज सुनाओ प्रिय, में अब भी रास्ते में आखे बिछाए तेरे आने के इंतज़ार में हूँ, हो सके तो जल्दी से लौट आओ प्रिय….

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प्रिय हो सके तो लौट आओ, मेरे दिल को और ना दुखाओ,
तुम तो सब जानती हो हाल-ए-दिल बेक़रार, इस आवारा को अब और ना सताओ प्रिय, दुख दर्द और पीड़ा इस कदर है बस पूछो मत तुम आओ प्रिय और ना मुझे रूलाओ प्रिय

हो सके तो लौट आओ प्रिय

में तो अल्हड़, नादान आवारा, लेकिन तुम तो समझदार होना प्रिय, अब इतनी देर ना लगाओ प्रिय की में हो जाऊँ ख़ाक और बरबाद प्रिय, आके हाथ थाम लो इस दिल को सम्भाल लो, तुम बिन ज़िंदगी जैसे नीम आके थोड़ी तो मिठास घोल जाओ प्रिय,

हो सके तो लौट आओ प्रिय

में अब भी तुम्हारे इंतज़ार में हूँ, बस तुम्हारे ही प्यार के ख़याल में हूँ,
कुछ तो सोचो मेरे बारे में, में ज़िंदगी के बीच मज़दार में हूँ प्रिय,
तुम चली गई हो छोड़ कर मुझे अरसे पहले, में अब भी रास्ते में आखे बिछाए तेरे आने के इंतज़ार में हूँ….प्रिय

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बिछड़ जाने का दुःख सायद उसे ज़रा भी नहीं था, क्यूकी जब में रो कर लिख रहा था तब वो हस कर पढ़ रही थी, जब में डूबने को समुन्दर की ओर चल रहा था तब वो किसी और का हाथ थाम कर साहिल की और बढ़ रही थी, जब जल रहा था में बरबादी की आग में तब वो उस आग के फेरे कर नई दुनिया बसाने को चल रही थी, उसने तोड़ी थी क़समें सारी मुझे कुछ बहाने दे कर, में इस सोच में था कि उसका हाथ थामा है कोनसा झूठा वादा लेकर, रो रो कर कहती थी जो तुम सिर्फ़ मेरे हो, आज हस हस कर किसी और को सनम बता रही है वो, अदाकारी कमाल थी उसकी इस ‘Awara’ को शराब में डूबा कर, अपनी क़सम दे कर किसी और को शराब से बचा रही है वो…

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मुझे ज़िंदगी भर कोई मुझ जैसा ना मिला,
ग़द्दार तो मिला पर कोई ईमानदार/वफादार ना मिला,
क़समे खाने वाला तो मिला, पर कोई साथ निभाने वाला ना मिला,
में घूमता रहा सच को लेकर ज़ुबान पे, पर कोई ख़रीदार ना मिला,
बुरा मान जाते है लोग उनसे उनके ही लहजे में बात करने पर,
ढोंग/दिखावा तो मिला, पर कोई असल किरदार ना मिला,
लाख ख़ामियाँ है मुझमें, पर मुझे कोई मुझ जैसा #आवारा *तलबगार ना मिला!!!

*तलबगार - चाहने वाला/ माँगने वाला

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उसने जाते वक़्त समझाया मुझे कि ये बिछड़ना क़िस्मत कि बात है, मुझे बरबाद करने में यू कुछ उसका भी हाथ है, और कहती थी साथ रहूँगी हमेशा, आज उसके हाथ में किसी दूसरे का हाथ है, समझदार बहुत थी वो, उसने ठुकरा दिया इस AWARA को, बोली मेरी ज़िंदगी की बात है, घर वालों का कहा मान लिया उसने जो कहती थी जीना साथ है मारना साथ है, समझदार बहुत थी इन सब के बाद बोलती थी ये बिछड़ना तो क़िस्मत की बात है….

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मुझे रहने नही देते एक जगह, ये मेरे तारे गर्दिश में हो तो मुझे Awara बना देते है…

#आवरा_हूँ

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दहसत हो गयी लोगों को झाँक के ज़हन में मेरे,
घबरा के बोल पड़े के कोई शक्स इस हद तक भी बर्बाद कर सकता है खुद को…🥀✨💔

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शराब कुछ इस तरह से अपना किरदार निभाती है,
जो रंग में चाहता हूँ वही चड़ाती है,
ये ख़ुशी हो या ग़म दोनो में साथ देने आती है,
ख़ुशी का तो हो गया पाँव फेरा अरसे पहलें,
ग़म में मुझे ये कभी अकेला छोड़ कर नही जाती है,
जब में डूबने लगता हूँ उसके ख़्यालों में,
शराब ही है जो मुझे आके सम्भालती है,
करवटें बदलता हूँ में बिस्तर पे जब बेचैनी से,
शराब ही है जो मुझे चैन की नींद सुलाती है,
जब ये चड़ती है, तब जाके वो मेरी नज़रों से उतरती है,
बदनाम करते है कुछ लोग शराब को,
लेकिन शराब तो वो है जो हर टूटे हुए दिल की दावा बनती है,
में लड़खड़ाता हूँ तो शराब मुझे सम्भालती,
कुछ इस तरह से शराब अपना किरदार निभाती है।

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