हो सके तो लौट आओ प्रिय, अब इस दिल को और ना दुखाओ प्रिय, तुम तो सब जानती हो हाल-ए-दिल बेक़रार, इस आवारा को अब और ना सताओ प्रिय, दुख दर्द और पीड़ा इस कदर है बस पूछो मत तुम आओ अब बस और ना मुझे रूलाओ प्रिय…
हो सके तो लौट आओ प्रिय !!
में तो अल्हड़, नादान आवारा, लेकिन तुम तो समझदार हो ना प्रिय, अब इतनी देर ना लगाओ की में हो जाऊँ ख़ाक-ए-बर्बाद प्रिय, आके हाथ थाम लो बस इस दिल को सम्भाल लो, तुम बिन ज़िंदगी जैसे नीम अब चली भी आओ प्रिय थोड़ी मिठास घोल जाओ प्रिय…
हो सके तो लौट आओ प्रिय!!
में अब भी तुम्हारे इंतज़ार में हूँ, बस तुम्हारे ही प्यार और ख़्याल में हूँ, कुछ तो सोचो मेरे बारे में, ज़िंदगी के बीच मज़दार में हूँ, तुम चली गई हो छोड़ कर मुझे यही कुछ दो-चार दिन पहले की बात है, लगता है अरसा हो गया अब आके एक बार तो अपनी आवाज सुनाओ प्रिय, में अब भी रास्ते में आखे बिछाए तेरे आने के इंतज़ार में हूँ, हो सके तो जल्दी से लौट आओ प्रिय….
-