मैंने कब कहा सफाई देने को
मै आईना हूँ....सब जानता हूं-
Wish me on 03 dec.
Status-married
लिखता हूं थोड़ा ख़ुद को थोड़ा अप... read more
फ़खत आज भी उड़ी उड़ी सी है नींद मेरी
मलाल ये है कि कहने को कुछ भी नहीं है-
यूं मेरे सामने जो तुम मुस्कुरा रही हो
कैसे कह दूं कि मेरा घर जला रही हो
भूल चुकी हो अब सब कुछ तुम भी
या नये पन का किरदार निभा रही हो
बेपरवाही तुम्हारी बे' चैन कर रही है ..
फिक्रमंद हो या बेफ़िक्री जता रही हो
मैंने आज फ़िर ढूंढा तुम्हारी आंखों में
मुझ...को ही तुम मुझसे छुपा रही हो
माना मैनें भी छोड़ दिया था रस्ता फ़िर
क्यों कालिख की छांव......सजा रही हो
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मैं तो यूँही चला आया हूँ यहां तक
वक़्त भी मुझे ले जाएगा कहाँ तक
थका नहीं हूँ बस मन नहीं करता
न जाये कोई मैं गया हूँ वहां तक
मुफ़लिसी जलीली ये आम बात है
मौत को छूकर आया हूँ अना तक
शिक़वे शिकायतें सब ख़ामोश हैं
बेवफ़ाई करके आया हूँ वफ़ा तक
चलते चलते मुझको भी गिर जाना है
जिंदगी से भागकर जाऊंगा कहाँ तक
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प्यार ऐसा कोई शब्द नहीं मेरे शब्दकोश में
बस रहता हूँ तुम्हारे ख़ालीपन के आगोश में
ढूंढता हूँ तुम्हें हर खिलखिलाती परछाई में
नहीं मिलतीं तुम तब भी कहीं आशनाई में
सुनो , मैं तुम्हें ढूंढते ढूंढते पत्थर हो गया हूँ
नहीं पता कि अपने में या तुम में खो गया हूँ
भूल जाता हूँ जानी पहचानी हर चीज को मैं
पागल था पहले इश्क़ में अब बद्दतर हो गया हूँ
ख़ैर......अब तो लिखना भी छोड़ दिया है मैंनें
फिर भी लगता है ऐसा जाने कबका सो गया हूँ-