Shaan Siddiqui   (Shααη Sἱddἱquἱ࿐)
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Joined 29 December 2019


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Joined 29 December 2019
9 SEP 2022 AT 19:13

انسان كى خواہش کبھی پوری نہیں ہوتی،
ایک پوری ہوتی ہے تو دوسری پیدا ہو جاتی ہے-

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30 JUL 2022 AT 0:15


كن خيرًا، و سيعود الخير لك .

Do Good, and Good will come to you.

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23 JUL 2022 AT 9:29

الزمن لا يغير، الزمن يكشف

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18 JUL 2022 AT 18:11

إيمانك يجب أن يكون أكبر من خوفك-

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17 JUL 2022 AT 1:12

السعادة ليست شيئاً يحصل بسهولة, فإنها تأتي من أفعالك.

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4 APR 2022 AT 0:13

🕌
सुनो रमज़ान की रहमत तुम्हारे घर भी आएगी
ख़्वाहिश-ए-नफ़्स की लालच जो दिल से दूर जाएगी

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3 MAR 2022 AT 2:55

दोस्त क्या ख़ूब वफ़ाओं का सिला देते हैं
हर नए मोड़ पे इक ज़ख्म नया देते है

तुमसे तो ख़ैर घड़ी भर की मुलाक़ात रही
लोग सदियों की रफ़ाक़त को भुला देते हैं

कैसे मुमकिन है धुआँ भी न हो और दिल भी जले
चोट पड़ती है तो पत्थर भी सदा देते हैं

कौन होता है मुसीबत में किसी का ऐ दोस्त
आग लगती है तो पत्ते भी हवा देते है

जिन पे होता है बहुत दिल को भरोसा 'ताबिश'
वक़्त पड़ने पे वही लोग दग़ा देते हैं

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3 MAR 2022 AT 2:14

दिल तड़पने लगा होश उड़ने लगे तू जो मेहफ़िल में ऐ मेहजबी आ गया
मैं क़यामत का पहले तो क़ाइल न था तुझको देखा तो मुझको यकीं आ गया

मैने चाहा न हो फाश राज़-ए-वफ़ा क्या करुँ मैं मेरा बस न कुछ चल सका
मेरे अश्कों ने मेरा भरम खो दिया तज़किरा आप का जब कहीं आ गया

वादा कर के शब-ए-वस्ल आए न तुम मैने माना कि मजबूर थे तुम बहुत
झूठी क़स्में उठाने से क्या फ़ाईदा कह दिया आपने बस यकीं आ गया

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15 FEB 2022 AT 2:00

हुकूमत के गुनाहों को कहाँ तक तुम छुपाओगे
कभी तो होश आएगा कभी तो सर खुजाओगे
लपट जब ज़ोर की उठ कर तुम्हारे घर जलाएगी
लगाई आग जो तुमने उसे तुम ख़ुद बुझाओगे

1222×4 ( बहर-ए-हज़ज )— % &

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14 FEB 2022 AT 2:14

हमारे‌ साथ में बीते ज़मानें याद आएंगे
तुम्हें हर वक्त रोने के बहानें याद आएंगे
हमें यूँ दूर कर के जब मुसीबत में फँसोगे तुम
फ़क़त उस वक्त हम जैसे दिवाने याद आएंगे

1222×4 ( बहर-ए-हज़ज )— % &

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