انسان كى خواہش کبھی پوری نہیں ہوتی،
ایک پوری ہوتی ہے تو دوسری پیدا ہو جاتی ہے--
कभी हो नसर से , कभी हो नज़म से 📝
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كن خيرًا، و سيعود الخير لك .
Do Good, and Good will come to you.
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🕌
सुनो रमज़ान की रहमत तुम्हारे घर भी आएगी
ख़्वाहिश-ए-नफ़्स की लालच जो दिल से दूर जाएगी-
दोस्त क्या ख़ूब वफ़ाओं का सिला देते हैं
हर नए मोड़ पे इक ज़ख्म नया देते है
तुमसे तो ख़ैर घड़ी भर की मुलाक़ात रही
लोग सदियों की रफ़ाक़त को भुला देते हैं
कैसे मुमकिन है धुआँ भी न हो और दिल भी जले
चोट पड़ती है तो पत्थर भी सदा देते हैं
कौन होता है मुसीबत में किसी का ऐ दोस्त
आग लगती है तो पत्ते भी हवा देते है
जिन पे होता है बहुत दिल को भरोसा 'ताबिश'
वक़्त पड़ने पे वही लोग दग़ा देते हैं-
दिल तड़पने लगा होश उड़ने लगे तू जो मेहफ़िल में ऐ मेहजबी आ गया
मैं क़यामत का पहले तो क़ाइल न था तुझको देखा तो मुझको यकीं आ गया
मैने चाहा न हो फाश राज़-ए-वफ़ा क्या करुँ मैं मेरा बस न कुछ चल सका
मेरे अश्कों ने मेरा भरम खो दिया तज़किरा आप का जब कहीं आ गया
वादा कर के शब-ए-वस्ल आए न तुम मैने माना कि मजबूर थे तुम बहुत
झूठी क़स्में उठाने से क्या फ़ाईदा कह दिया आपने बस यकीं आ गया-
हुकूमत के गुनाहों को कहाँ तक तुम छुपाओगे
कभी तो होश आएगा कभी तो सर खुजाओगे
लपट जब ज़ोर की उठ कर तुम्हारे घर जलाएगी
लगाई आग जो तुमने उसे तुम ख़ुद बुझाओगे
1222×4 ( बहर-ए-हज़ज )— % &-
हमारे साथ में बीते ज़मानें याद आएंगे
तुम्हें हर वक्त रोने के बहानें याद आएंगे
हमें यूँ दूर कर के जब मुसीबत में फँसोगे तुम
फ़क़त उस वक्त हम जैसे दिवाने याद आएंगे
1222×4 ( बहर-ए-हज़ज )— % &-