बातें उसकी हौले-हौले चलती इन हवाओं सी लगती है,
चुप हो जाए या रूठे तो उफ्फ़..इस गर्मी सी लगती है,
मुस्कराए जब बिना रोकें तो जैसे खिले खूबसूरत इन
फूलो सी लगती हैं, नाराज़गी उसकी पतझड़ सी
लगती है,
जब किसी बच्चे सी बातें करें तो एक मासूम शख्स सी
लगती हैं, इस धरती पर आसमां के रूप सी लगती हैं,
ये दिल भी तो जैसे उसका किसी बच्चे सा ही लगता हैं,
हाँ पाक, खूबसूरत हर चीज़ का हो सार ऐसा लगता हैं,
यूँ होना उसका नज़्मों में खूबसूरत अहसास सा लगता हैं,
यूँ जिसके होने से मिले हौसला वो बात सी लगती हैं
हाँ हो तुम भी ख़ुद हौसला अपना, जो ज़मी पर आसमाँ
से लगते हो, मुश्किलो को जो हरा तुम निरंतर चलते हो
तुम ज़िन्दगी बने चलते हो, इस ज़मी पर आसमाँ बने
चलते हो।
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