✨शाख़ 💫   (बावरामन "शाख़")
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Joined 2 April 2022


Joined 2 April 2022
18 APR AT 12:42

बहुत ज़्यादा कहां कहना और पूछना
इतना ही बता दे सब खैरियत तो है ना !
होता तो कुछ नहीं पता चल जाने पर
पर दिल को तसल्ली तो मिलती है ना !
न मैं काम आऊं उसके न वो मेरे
पर दिल का रिश्ता तो निभाना है ना ।

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13 APR AT 21:25

मुझे डर नहीं लगता
किसी पर नाराज़ होने से
किसी का मुझ पर नाराज़गी जताने से
या किसी को कुछ कह देने से
या उसको कुछ कह देने से

मुझे डर लगता उसके बाद
उस वेदना से गुजरने में
गहरे और गहरे होते विचारों से
छोटी छोटी शिकायतों के
विशाल बनते संमदर से
और उस में धीरे धीरे गहरे उतरने से
और बहुत देर लग जाती है मुझे
तैर के ऊपर आने में

— % &
मुझे डर लगता है
खुद में इस तरह खो जाने में
थकी थकी सी हो जाती साँसे
और बोझिल सा हो जाता दिल
डर लगता है मुझे अब ऐसा हो जाने से

और फिर याद करती हूँ मैं उसे
जो उबार लेता है मुझे
जी के जंजालो से
निकाल लेता है मुझे किसी दरिया से
— % &उसकी मौजूदगी नहीं पर
कानों में गूँजते अल्फ़ाज़ उसी के
जो तैर कर उपर ले आता मुझे
थकन से बने ख्यालों से
और मैं उसका
शुक्रिया कर मन ही मन मुस्करा देती
अपने डर से बाहर आ जाती
मैं फिर जी उठती
उसके अहसास से — % &

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13 APR AT 20:41

तुम्हारी याद आती है बहुत
साझा करनी है कुछ बातें
कुछ तकलीफें और कुछ राहतें
साझा करनी है कुछ मुस्कानें
तुम्हारा इंतजार है बहुत
जानती हूँ होगी न पूरी उम्मीदें
जानते हो कितनी तड़प कितना सुकून है
पालने में ये अधूरी ख्वाहिशें
ये जिंदा रखती है मुझे इस मतलबी दुनिया में
ये जो मन ही मन तुमसे करती हूँ गुजारिशें

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14 MAR AT 19:33

तुम मिलते हो थोड़ा सा
फिर रह जाते हो देर तक
मुस्कुराए तुम एक बार ही
हम तुझे सोच मुस्काते रहते देर तक
तुमने दिए कुछ लम्हें कुछ पल मुझे
हम मगर अल्फ़ाज़ में बुनते रहते देर तक
कुछ देर तक रहा दीदार तेरा खुशी भरा
फिर बिछड़ने के गीत गाए मैंने देर तक
देर सवेर फिर मिल जाओ तुम यही आस है
तुम सुबह से शाम ख्यालों में रह जाते देर तक

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10 MAR AT 14:01

रोज़ रोज़ जीना तुम्हें याद करके
रोज़ ही मर जाना तुम्हें भुला करके
रोज़ ही एक कहानी गढ़ लेना प्यार की
रोज़ ही याद करना हकीकत मौत की

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वही एक नाम बार बार लिखा जाता रहा
बचपन जवानी हर उम्र के बिखराव में
वही एक चेहरा दिल को सताता रहा
इतने देखे ख़्वाब तेरे नींद को भी रास्ता याद रहा
उम्र भर तु कभी किसी तो कभी किसी का रहा
मेरा प्यार ढूंढता रहा तुझे हर राह में हर बात में
पर ये दिल है कि हार न माना
तेरा न होकर भी तुझे सोचता रहा
मै बारिश सी बरसती रही तू मगर संमदर सा रहा

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5 MAR AT 21:42

मैं थक जाती हूं तुमसे इतनी बातें करते करते
कभी आकर अधरों से अधरों को चुप करा दो

टूटते बनते इन ख्यालों को दिल की तस्वीर बना दो
एक लम्हा जो ठहर जाए सारी ज़िंदगी के लिए

अपनी आँखो से ऐसी एक नज़्म सुना दो
एक पल के लिए ही सही मुझे मुझसे चुरा लो

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5 MAR AT 21:32

कितने मौसम गुज़र गए किसी के हाथ की
तकिया बनाकर के सोए नहीं
यूँ तो कई बार आँखे नम की हैं पर किसी के
सीने मे सर छुपा कर रोए नहीं

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5 MAR AT 17:01

तेरे शाने पे यूं सिर को टिका कर मैंने तेरी धड़कनें सुनी थी बरसों बाद मिला कोई अपना सा मन में आस सी जगी थी

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29 FEB AT 3:20

दिल दुखाता कोई और
और याद आता कोई और
जाना नहीं जिस चौखट पर मुझे उम्र भर
रोज़ाना ख़्याल चले जाते हैं उसी ओर

दिल देना था उसको जो नसीब में है
दिल छोड़ आई मैं कहीं और
जाने क्यों उसकी आहटों की उम्मीद है
जब की वो बैठा है मीलों दूर कहीं और

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