S͠h@kir S͠aifī   (Mr. saifi...✍️)
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Joined 23 December 2017


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Joined 23 December 2017
20 MAR AT 22:59

मैं जो सोच रहा हूं बेकार की बातें!
तेरे साथ हुई वो तकरार की बातें!

वो कहती है मुझसे लड़ो और मनाओ भी,
मुझसे नहीं होती ये सब प्यार की बातें!

तेरे वास्ते क्या कुछ कर के बैठा हूं,
अब बर्दाश्त नहीं होती इंतजार की बातें!

दुनियां ने सब छीन लिया जो मुझ में बाकी था,
पर वो छीन ना सके मुझसे तलवार की बातें!

मैं तुझे क्यों याद करता हूं पता नहीं लेकिन,
मैं भूल भी नहीं सकता किसी मक्कार की बातें!

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14 MAR AT 8:52

मुझे क्या हुआ कोई ये सवाल ना पूछे!
मैं चाहता हु कोई अब मेरा हाल न पूछे!

मैं बदल गया हूं तुम्हारी रंगत की तरह,
मेरे किए मुझसे कोई नेक आमाल ना पूछे!

तुम भी खुश हो मेरे बिना अजीब बात है,
एहसास तक नहीं होता कोई मलाल ना पूछे!

सब कुछ खो गया और एहसास तक नहीं!
ये मेरा सब्र है कोई मेरा कमाल ना पूछे!

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5 MAR AT 11:14

ये जिंदगी मैं बस अब और नहीं चाहता!
इस जैसा कभी कोई दौर नहीं चाहता!

मेरे अन्दर मचा हुआ है हंगामा सा कहीं,
मैं अब बाहर का कोई शोर नहीं चाहता!

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30 NOV 2024 AT 20:41

अब वो नहीं रहे जो सवाल जवाबों से बात करते हैं
हम हो गए हैं वो जो किताबों से बात करते हैं!

मैं अब किसी से कहीं कोई भी बात कर लेता हूं!
तू ये ना समझ की बस साहबों से बात करते हैं!

मैं उसके खुले चेहरे का तसव्वुर करता भी तो कैसे,
उनके सर चादर है जिसके हिजाबों से बात करते हैं!

माना ग़फ़लत है ख़सरत है वो मुझसे रुखसत है,
मैं तन्हाई में खुद अपने सवालों से बात करते हैं!

तुमने जब ये कहा रुकना यहीं कहीं जाना नहीं,
तब से तेरी गली तेरे रास्ते चट्टानों से बात करते हैं!

और मैं इस कश्मकश में पागल हो गया लोगों,
कम बोलता है लगता है बेजुबानों से बात करते हैं!

एक तो तुम्हारी बात भी किस क़दर मुश्किल है,
लगता है मुझे इन दिनों इम्तिहानों से बात करते हैं!

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8 NOV 2024 AT 19:31

किसी और के हो कर मिल रहे हो
इसका मतलब कुछ खो कर मिल रहे हो

लोग मिलते हैं सड़कों पर न जाने कैसे कैसे
क्या जब से मेरे हो मेरे हो कर मिल रहे हो

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1 NOV 2024 AT 20:29

अब वह नहीं रहे जो सवाल ज़वाबों से बात करते हैं!
हो गए हैं ऐसे अब जो किताबों से बात करते हैं!

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8 OCT 2024 AT 21:13

झूट...
बोल कर मनाने के बहाने नही आए!
सफर में खुद को ढूंढते है वक्त गवाने नही आए!

मैं तुम्हारा ख्याल अक्सर क्यों कर करता हूं
ये तुम महसूस करना हम बताने नही आए!

हम जो करते हैं तेरे लिए वो फर्ज़ है हम पर,
कोई तुझसे तेरे एहसान जताने नही आए!

एक मुद्दत तक जो भी वक्त बिताया हमने,
मुझे क्या पता था तुम कुछ भी निभाने नही आए!

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7 OCT 2024 AT 20:28

यार...
तुमको हम खुद से बेज़ार समझ लेते हैं!
हम अकेले शख्स को भी बाज़ार समझ लेते हैं!

तू है तो एक बात मेरे दिल में घर कर के बैठी है
अगर अपने हो तेरे जैसे तो हर बार समझ लेते हैं

तुम पर यकीन है या नही है पता नहीं लेकिन,
तुम्हारी खबर को हम अखबार समझ लेते हैं!

कल जब मेरी बात हुई आखिर जमीं वालो से,
खुद में उमड़े खयालों का अंबार समझ लेते हैं!

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6 OCT 2024 AT 22:05

आंखें भीग जाती हैं खयालों में फकत उनके।
हमें कुछ वक्त देने को उन्हें फुर्सत नहीं मिलती।

मैं उनके सामने बैठा हूं ना जाने कब से,
एक नजर उठाने को उन्हें फुर्सत नही मिलती!

वो जब भी जाता है कुछ वक्त बिता कर के,
वापस लौट आने की उन्हें फुर्सत नही मिलती?

वो कह कर जाता था अभी आता हूं मैं लेकिन,
वापस लौट आने को उन्हें फुर्सत नही मिलती!

किस फुर्सत से में कर रहा हूं वक्त बर्बाद,
कभी वक्त पर आने को उन्हें फुर्सत नही मिलती!

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26 SEP 2024 AT 22:00

में तंग मिजाज सही इशारे को जरूरत नहीं पड़ती!
मेरा सहारा है मुझे सहारे की जरूरत नहीं पड़ती!

कश्ती और खुद को संभालने की हिम्मत रखता हूं,
मुझे दूर दराज किनारे की जरूरत नहीं पड़ती!

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