कभी कभी ख्याल आता है जिंदगी जो अगर तेरे बाद जीने की बात आई तो ये जिंदगी-जिंदगी न रहेगी मुक्कमल करूं भी कैसे ये इश्क है जिद्द नही जो तुझे बेरियों में बांध अपना बना कर ताउम्र अपने पास रख लूं तू आजाद परिंदा जैसा मैं जमीं पे तेरी छव मोहिनी
जाने कहाँ तक और कब तक का साथ है तेरा मेरा खबर है बिछुड़ना तो एक मोङ पे है ये तय है, फिर न जाने हमें कुदरत ने मिलाया क्यों इस सुने मन में प्यार का शोर मचाया क्यों.....।।
क्यों मेरे करिब आकर मेरी बेचैनियां बढा जाते हो जब तुम मुझे एक बार गले से भी न लगा सकते हो क्यों आते हो मेरी तङप बढा जाते हो केह तो गए थे अब कभी लौटकर न आऊंगा तेरी इन गलियों में