क्या कहूं उसके बारे में जिसका जन्मदिन पूरी दुनिया मना रही है
ऐसा लग रहा है मानो पूरी दुनिया कृष्ण कृष्ण हो रही है
जो किसी का लड्डू गोपाल बनके उसकी खूब सेवा लेता है
तो किसी का ठाकोर जी बनके उसके घर की रक्षा करता है
हर किसी के लिए वो हर रूप ले लेता है
कभी सखा, कभी बेटा तो कभी प्रेमी बन जाता हैं
तो कभी इंतजार कर रही रुक्मणि को वो दिल से अपनाता हैं
मेरा कान्हा हर रूप में ढल जाता हैं आप उसे जैसा सोचो वो वैसा बन जाता है
जो कृष्ण को चुनते हैं वो वैष्णव बन जाते हैं
पर जिसको कृष्ण चुनते हैं वो कृष्णमय हो जाते हैं
हर दिन ऐसी लीला रचाते है
मेरे कान्हा उसे अपने पास होने का अहसास दिलाते हैं
मक्खन मिश्री और ढेरी सारी मिठाईयां
आप सभी को जन्माष्टमी की ढेर सारी बधाइयां
कृष्ण भी ये पढ़ कर मुस्कुराते होंगे
शायद मेरी इस कविता से वो भी कही खुद पर नाज करते होंगे
बैठ के सुनाया मेने कृष्ण को
दी बधाई उसे उसके जन्मदिन की
कृष्ण भी बोलें क्या बात है सखी
तो बोलो हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की
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Insta ID : hey_krishna05
https://youtu.be/o7tEsP4nalY
राधा की जुल्फे सावरे हमारे बांके बिहारी
हाए देखो ना कितनी प्यारी लगती है ये जोड़ी हमारी
राधा का श्रृंगार है नंद का लाल
और राधा रानी का रूप भी तो है निराला
काली घनी जुल्फे जब लहराती है
हमारे कान्हा के चहेरे पर भी प्यारी सी मुस्कान आ जाती है
देख श्रृंगार चौंकी विशाखा और ललिता
कहे गुस्से में ये क्या कर दिया अपने कान्हा
सखी हमारी है तो हम उसे सजाएंगे
प्यारी सी शिकायत सुनके हमेशा की तरह हमारे कान्हा मुस्कुराएंगे
शायद शिकायत तो सुन नही रहे हैं
वो तो बस अपने हाथो से सवारी राधा रानी की जुल्फे निहार रहे हैं
कितना मन मोहक होगा ना वो पल
जहा कान्हा हमारी राधा रानी की जुल्फे सवारते हैं
वहा कान्हा भी अपनी राधा के नाम का मोर पंख अपने सर पर सजाते हैं-
राधा की जुल्फे सावरे हमारे बांके बिहारी
हाए देखो ना कितनी प्यारी लगती है ये जोड़ी हमारी
राधा का श्रृंगार है नंद का लाल
और राधा रानी का रूप भी तो है निराला
काली घनी जुल्फे जब लहराती है
हमारे कान्हा के चहेरे पर भी प्यारी सी मुस्कान आ जाती है
देख श्रृंगार चौंकी विशाखा और ललिता
कहे गुस्से में ये क्या कर दिया अपने कान्हा
सखी हमारी है तो हम उसे सजाएंगे
प्यारी सी शिकायत सुनके हमेशा की तरह हमारे कान्हा मुस्कुराएंगे
शायद शिकायत तो सुन नही रहे हैं
वो तो बस अपने हाथो से सवारी राधा रानी की जुल्फे निहार रहे हैं
कितना मन मोहक होगा ना वो पल
जहा कान्हा हमारी राधा रानी की जुल्फे सवारते हैं
वहा कान्हा भी अपनी राधा के नाम का मोर पंख अपने सर पर सजाते हैं
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देख यशोदा तेरो लाल
के कर गयो मेरे घर को हाल
पूरे दो दिन की मेहनत थी
सारी मटकी मक्खन से भरी थी
पूरे ग्वालो के साथ आया
गुल्लाड भी अपने साथ लाया
तोडी मटकी चुराया मक्खन
चाव से खाया और सबको खिलाया मक्खन
मुख बनाए ये मासूम सा
जब देखे वो मां यशोदा
हर दिन नई लीला रचाता है
यशोदा तेरा कान्हा बहुत सताता है
पकड़ने गए तो भागो एसो जैसे पीछे पड़े हो इसके चोर
ओर फिर कहता है खुद को में नही हू मखनचोर
देख यशोदा तेरो लाल
के कर गयो घर को हाल
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कृष्ण कृष्ण करते करते कब राधा राधा करने लगे
कृष्ण के बनने गए थे और राधा रानी के हो गए
हरे कृष्ण हरे कृष्ण करते करते कब राधे राधे करने लग गए
पता नही राधा रानी हम आपके हो गए-
जीवन मेरा सार्थक हो गया
मुझे मेरा गिरिधर मिल गया
गईया चराते चराते पता नही कब वो मेरा चीत ले गया
मेरा माधव मुझे सब कुछ दे गया
उसकी बासुरि की धुन सदा मेरे कानो में गूंजती हैं
उसकी एक जलक के लिए ये सखी आज भी तरसती है
निगाहों को इंतजार है मेरे माधव का
जो बन गया है खवाइया मेरी जिंदगी की नाव का
क्या मांगू में तुमसे सब कुछ दे दिया
मुझे कृष्ण भक्ति के रूप में मुझे खुद से जोड़ दिया
कान्हा कान्हा मेरा मन बोल रहा है
अब तो मेरा घर भी वृंदावन हो रहा है-
तेरी बांसुरी बनना है कान्हा
मुझे तेरे हाथो में सजना है कान्हा
तेरे साथ चलना है तेरे साथ रहना है
सुदर्शन तुम्हारे वीरता का प्रतीक है तो मुझे प्यार का प्रतीक बनना है
तुम्हारे लिए खुद के शरीर में छेद कर लूंगी
पर वादा करती हूं तुमसे गोविंद के अलावा कुछ नही बोलूंगी
कुछ नहीं है ये बस तुम्हारे साथ रहने की जिद्द है
बसुरी बन जाऊ तुम्हारी यही अब आश है
राधा रानी के लिए संगीत बजा लूंगी
तेरे होठों के स्पर्श को अपनी खुश किस्मती मान लूंगी
नही कोई आश है माधव
बस बनना है तेरी दास माधव
तेरी बांसुरी बनना है कान्हा
अपने जीवन को सार्थक करना है कान्हा-
राधे कृष्णा
प्यार तो अब परवान चढ़ चुका है
कान्हा अब राधा का बन गया है
राधे राधे राधे कह कर सबको बता रहा है
जैसे मानो पूरे संसार को प्रेम सिखा रहा है
वहा हमारी सुंदर सी राधा रानी अपने कान्हा को सोच रही है
जैसे मानो अपने आप को कृष्ण में देख रही है
अब प्रेम को दूसरा नाम मिल रहा है
अन्त काल तक प्रेम अब राधा कृष्ण हो रहा है
बासुरी की धुन जो अब हमारी राधा के लिए बजती है
तो वहा हमारी राधा भी तो अपने कृष्ण के लिए ही सजती है
हमारे कान्हा जो गइया चराते है
वहा चुपके से हमारी राधा जी अपने कृष्ण को निहारती है
ओर मेरे कान्हा अजीब सी लीलाएं करते हैं
और संसार को जैसे प्रेम की एक नई भाषा देते है
अब तो वृंदावन की हर गलियों में राधा कृष्ण हैं
ऐसा लगता है जैसे संसार ही राधा कृष्ण हैं-
कैसे नही आयेंगे कान्हा
तुम उसे पुकार कर तो देखो
द्रौपदी जैसा विश्वास एक बार कर के तो देखो
मन तुम्हारा वृंदावन हो जाएगा एक बार "राधे राधे" कह कर तो देखो
बस एक बार कान्हा को पुकारकर तो देखो
तुम्हारी गलती पर वो तिरुपति बालाजी बन जाएंगे
जैसे उसने कुछ देखा नही
तुम जाओ उसके पास वो तुम्हारे हो जाएंगे
द्वारका जैसा वैभव छोड़ कर दौड़ा चला आएगा
बस एक बार उनसे सुदामा जेसी मित्रता तो कर के देखो
अगर कृष्णा को पाना है तो मीरा सा इंतजार करना होगा
तुम्हे सच्चे मन से उसे पुकारना होगा
एक बार मदद मांग के देखो नही अगर नही पता तो अर्जुन की तरह एक बार पूछ के देखो
सब कुछ छोड़ कर आएंगे मेरे कान्हा
तुम बस एक बार उसे पुकार कर तो देखो
मेरे कान्हा को दिल से याद कर के देखो-
कृष्ण की बांसुरी तो इस बासुरी की धुन है राधा
जिसके बिना अधूरे हैं हमारे कान्हा
बासूरी जो हमेशा कान्हा ने अपनी राधा के लिए ही बजाई
जो बासुरी ने हमेशा राधा कृष्ण की अनेक रास लीला और प्रेम कहानी में साथ रही
जिसने हमेशा कृष्ण के साथ रह कर प्रेम की धुन बजाई
पर जब राधा कृष्ण के विरह ने तो उसे भी तोड़ दिया
फिर वो कभी नहीं बजी कभी प्रेम की धुन उसने सुनाई
कृष्ण के साथ हमेशा रही पर कभी प्रेम की धुन नही सुना पाई
पर वो हमेशा राधा कृष्ण के प्रेम की निशानी रही-