Last night when I came back home late around two, you complained about me being late and asked me to justify your act of waiting in 2 lines, as you always do. I said, "I'm grateful to you for complaining even more than for waiting. Thank you for complaining."
तुम जानते हो आज बरसात हुई खिड़की से दिख रहे सारे पहाड़ फूल गए पेड़ उठ खड़े हुए और पत्ते गिर गए बादल में अटकी बूंदें लौट आईं घर को कल फ़िर हवा उठेगी, बादल बनेंगे नज़र आएंगे फूले हुए पहाड़ होगा तुम्हारा फ़िर से उठ खड़े होना होगा मेरा फ़िर घर लौट आना
ढलती शामें अक्सर गूंथ देती हैं मुझे तुमसे कल खिड़की के बगल वाली मीठी नींद में तुमने डुबो दी थी अपनी उँगलियाँ मेरे ख्यालों में वही मेरे बालों से होते हुए उग आई थीं गालों पर मुझे यह एहसास हुआ तुम मेरे साथ घट रही एक कविता हो जिसे मैं रोज़ सुनने आती हूँ खिड़की के बगल वाली मीठी नींद में