एक दो जाम पीने से क्या होता है,
तेरे नशे मे तो हम आज भी है
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ये हस्ते चेहरे के पीछे की नमीं को बेपरदाह मत करना,
कई बीछडी बाते छीपी है इसमे।-
जब गांधी निकल पड़े थे अकेले उन राहो पर
देखो आज तिरंगा लहरा रहा है सारे जहाँ पर
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एक गूफतगू के कारण मिले होगे, शायद तुम और में
ओर उसी गूफतगू के कारण आज बीछड गए है
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दर्द छिपाना आता है मुझे,
मेतो गम में भी मुस्करा लेता हूँ
तेरी आदत हे मुजको,
फिर भी मे खुद को सभाल लेता हूँ
वेसे तो मुस्कराता रही मे,
फिर भी घडी भर रो लेता हूँ
जब याद आये तेरी तो,
खुद से खुद को मिल लेता हूँ
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તારુ ને મારુ ઇશ્ક નું 'નામુ' મેળવી લઈએ
જો હોય નહી વિશ્વાસ તો તારા નામ સાથે મારુ સરનામું મેળવી લઈએ
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मुझे उस ऊंचाइ पर नहीं जाना,
जहाँ तूमहारा साय न हो.......
'सूफि'
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