seema   (@Dr.seema)
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Joined 1 October 2018


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Joined 1 October 2018
21 APR 2021 AT 22:01

रामलला ये देखो तो,जग की हालत कैसी हो रही है,
तुम्हारे होते हुये, सभी में ये दहसत कैसे हो रही है,

न जाने कब से तके थे सब, जन्मभूमि तुम्हारी आने को,
और आलम ये हुआ के अपने घर में भी दिक्कत हो रही है,
ऐसा युद्ध मचा है जग में जिस पर वार इक तरफा है,
हर घर तुम्हारा खाली, तुम्हारा बच्चा बच्चा तड़पा है,

ऐसे मे हे जन्म दाता एक मात्र सहारा तुम हो,
कुछ ऐसा चमत्कार करो प्रभु, के जग से ये गम अब गुम हो,

बड़े बड़े असुरों का जैसे तुमने संहार किया,
वैसे ही इस सूक्ष्म जीव से भी मन मानुष का उद्धार करो,
हे प्रभु तुम पालन कर्ता मेरी अरज़ सुनो,
क्षमा प्रार्थी हम सब मानुष, क्षमा हमारी स्वीकार करो।

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19 FEB 2021 AT 23:06

कभी कभी लाख कोशिशों के बाद भी कुछ रिश्ते टूट ही जाते हैं,
चाहे कितना भी कस कर पकड़ लो हाँथ, छोडने की नियत के लोग छूट ही जाते हैं,
प्रेम तुममें बसता है,अगर तो समझो ज़रा,
प्रेम बाँटों अगर तो बिना किसी उम्मीद के, प्रेम पाने की चाहत में तो अक्सर लोग टूट ही जाते हैं ।

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19 FEB 2021 AT 22:57

आँखे भींगी चहेरा फिर मुरझाया है,
लगता है आज फिर वो तुम्हे याद आया है,
इतनी मोहब्बत भी ठीक बात नहीं है शायद,
जो उसके गुनाहों का दोष तुमने कभी खुद,कभी खुद की किस्मत ,कभी खुदा ,कभी दिन,तो कभी साल पर लगया है।

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19 FEB 2021 AT 22:51

बात हो तो जाती है, मगर होती नहीं है,
जैसे नींद आती तो है, मगर आँखे सोती नहीं है
होने को तो दर्द आज भी अति से ज्यादा होता है,
मगर न जाने क्यों अब आँखे पहले की तरह रोती नहीं है।

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24 DEC 2020 AT 16:09

उनके नज़दीक रहूँ न रहूँ, उनको खुद के हमेशा करीब रखुगीं
मुझको पढ़ने वालों का मोहब्बत से भरोसा न उठे,
अपनी मोहब्बत को आखिर में ऐसे आबाद लिखुगीं।

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9 DEC 2020 AT 0:59

प्यार करते हो अगर तो एक इशारा करो,
रकीबों से मेरे तुम अब किनारा करो,
मौज करना है तो छोड़ो रहने दो,
और अगर इश्क हो गया हो तो, इज़हार तुम दोबारा करो।

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4 NOV 2020 AT 9:19

मेहंदी हाथों पर मैने तुम्हारे नाम की रचा ली है,
थाली ,फूलों, कुमकुम,चंदन, छलनी के साथ सजा ली है,
सुनों चाँद के साथ ,अब की तुम भी आ जाना,
मैंने तुम्हारी पसंद की खीर भी बना ली है।

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1 NOV 2020 AT 1:25

उनकी खैर खबर मुझको बता दे कोई,
मेरे चहरे पर तब्बसुम बिछा दे कोई,
माना, मैं तो उनको फूटी आँख नहीं भाती हूँ,
मगर मेरी आखों के सामने तो उन्हे ला दे कोई ।

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27 OCT 2020 AT 0:36

सुनो
मुझे अच्छा नहीं लगता तुम्हारी खैरियत किसी और से पूछना,
ठीक उसी तरह जैसे तुम्हे नहीं पसंद था मेरी ओर किसी और का देखना,
तुम खुद ही अपनी खबर मुझ तक पहुँचा दिया करो न,
ताकि बंद कर दे मेरा दिमाग उल जुलुल सोचना।

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23 OCT 2020 AT 2:12

कोशिश तुमको लौटाने की करनी छोड़ दी है,
कसमे खाई थी जो सर की तुम ने मेरी,अब लगभग सारी तोड़ दी है,
तुम बदलोगे, सुधरोगे और खुद ब खुद चल कर आओगे,
अपनी अनंत ख़्वाहिशों में एक ख्वाहिश ये भी जोड़  दी है।

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