Seema   (Ankahin dastan (by seema))
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Joined 29 August 2018


Joined 29 August 2018
29 DEC 2024 AT 20:23

तड़प जाती है हर मां की आत्मा
जब भी रोते हुये,
बेटी को देखती है ।

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29 DEC 2024 AT 17:24

मन का सुकून हरा रंग,
तन पे सजे हरा रंग,
दिल को भाये हरा रंग
प्रकृति को भाये हरा रंग,
आँखों को भाये हरा रंग।

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27 DEC 2024 AT 1:00

ओम शांति,
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। पूर्व प्रधानमंत्री जी को शत् शत् नमन ।

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27 DEC 2024 AT 0:55

बहुत डर जाती हूं,
देखती हूं जब किसी को,
समय के काल में समाते हुये,
सपनों को झटके से टूटते हुये,
सहम जाती हूं,घटनाओंं को,
घटते हुये देखकर,
आजकल तो दौर चला है,
अभी सपने बुना, कल वो दुनिया
से ही उठ चला है,
पता नहीं ,क्या उतावलापन,
या जीवन की जीने की होड़,
ही मौत को गले लगाते चला है।

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27 DEC 2024 AT 0:45

सोचा था कल,
तो सुकून होगा,
लेकिन ये भ्रम है,
यही जीवन का सत्य है,
यहीं उन अनुभवी बुजुर्गो,
की कमी खलती है,
जिन्होंने ज़िंदगी जी होती है,
काश, वो होते, जीवन के रंग,
क्या होते है, संग संग कहते,
और हम अनुभवों को,
समेटकर जी लेते,
कुछ न कहते, उनकी
बूढ़ी आंखों के सपने,
चुपचाप समेट लेते,
और कहते , ऐ क्रूर समय,
मेरे पास तुझसे लड़ने की
हिम्मत भी है, ताकत भी है,
मत डरा, मेरे पास मेरा हौसला
बढ़ाने वाला बहुत अनुभवी व्यक्ति भी है।

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27 DEC 2024 AT 0:32

एक दुबली पतली सी काया,
सिर पर लम्बा सा घूघंट डाले,
सिर्फ नीचे सड़क दिख रही होगी,
मैंने देखा,सिर पर मोटी सी लम्बी
लकड़ी रखे, चली जारही थी,
बेबाक,घूरती हुई दर्जनों क्रूर,
निगाहों के बीच बेखबर,
क्योंकि उसे तो, रात में ठंड से,
अपने बच्चों को बचाना था,
उस लकड़ी को जलाना था,
जिससे उसके परिवार और घर
को गरमाना था।

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27 DEC 2024 AT 0:23

बहुत तकलीफ होती है,
जब मेहनत का फल नहीं मिलता,
शायद किस्मत में ईश्वर ने कुछ और
लिखा होता है, ये सोचकर विवश
हो जाना पड़ता है,

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27 DEC 2024 AT 0:17

2024 जा रहा है,
ये भी खाली गया।
दे गया,रिश्तों की पहचान,
रूपया, पैसा,दिखावा, पहनावा,
धरा रह जाता है,जब,
अपना ही शरीर काम नहीं आता।
अचानक वो नेक काम कभी,
हो जाते हैं अनजाने में,
ईर्द-गिर्द आ जाते संभालने को,
कभी कोई मददगार बनकर,
कभी कोई,राहगीर बनकर,
कभी कोई गरीब,बनकर
जिनके पास कुछ नहीं होता,
वो अपनी मीठी प्यार भरी बोली
बोलकर भी जीवन मिठास भर जाते हैं।

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27 DEC 2024 AT 0:04

जख्म भरता नहीं, सीख देता है,
दर्द सहते सहते, जीना आसान होता है,
सौ दर्द के बाद,शून्य बचता है।
जहां कुछ शेष न हो ।

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19 DEC 2024 AT 23:18

काश कुछ तो सीखा होता,
प्रकृति से, फूल का खिलना
मुरझाना, जीवन के पहलू,
कभी खुशी, कभी गम,

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