इस अनजान शहर में कुछ पुराने दोस्ती की तलाश थी...
एक नई "मैं" में पुराने "हम" की भी तलाश थी...
मुझे खो देने के बाद अपने आपको को पूरी
तरह फिर से खुद को पा लेने की आस थी...
मुझे विश्वास फिर से करने की आस थी...
इस अनजान शहर में कुछ अजनबी सा लगा नही था...
खुद को ही अजनबी बना लिया था मैंने इतना खुद से की
मुझे बस अब अपने अंदर किसी अपने की तलाश थी...
अनजान शहर में कोई नहीं है जहां अपना खो जाने का कोई डर हुआ ही नहीं...
भटक गई रास्ता तो भी घबराहट घर ना पहुंच पाने की हुई ही नहीं...
क्यों की खोई हुई तो पहले से ही हूं और मैं कितना ही खो जाऊंगी...
और मेरा घर तो छोड़ कर आई ही हूं अब क्या ही
होगा जो अपने कमरे तक नहीं समय से लौट पाऊंगी...
इस अनजान शहर में कुछ पुराने दोस्ती की तलाश थी...
मुझमें जो कुछ भी मेरा मिल नही रहा था ना वो ढूंढने का विश्वास था...
दर्द सीने में इतना था उससे कम करने की आस थी...
मरती जा रही थी अंदर ही अंदर बस मरना नहीं था...
इसलिए कुछ तो करना था... तो कुछ कर लेने का हौसला रखा मैंने पास था...
कोई अपना जैसे अब भी मिल नही रहा है दिल दुख रहा है बहुत
उसके बगैर बहुत समय से कोई उससे बता दे जाके
वो मेरी सुनता नहीं अब की
वो सच में मेरे लिए कितना खास था, है और हमेशा रहा...
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धर्म की विजय में अधर्म की पराजय में...
शस्त्र बिना उठाए जो लड़ना जानता था...
परीक्षा और परिणाम दोनों जानते हुए भी
हर विकल्प हर मुमकिन कोशिश कर लेना मानता था...
शांति का प्रस्ताव हो या कर्ण को
देना सुझाव हो वो सब का अंत जानता था...
पर शुरुआत करने के नही कतराता था...
माखन खाना जिन्हें भाता था...
गोपियों संग बांसुरी की धुंध पर गीत जो गुनगुनाता था...
यशोदा का नंद लाल... देवकी का गोपाल...
जिससे गोवर्धन को एक उंगली पर
उठाकर घमंड इंद्र देव का भी तोड़ देना आता था...
प्रेम से बढ़कर कुछ नही है दुनिया
में ये समझाना जिन्हें अपनी मुस्कान से आता था...
निश्वर्थ भाव से निभाना हर रिश्ता हर नाता
ही सच्चा प्रेम कहलाता है ये जो हमेशा सिखलाते हैं...
हमारे मुरलीधर हमारे कान्हा...
ऐसे ही नही है किसी के मन में बस जाते हैं...-
दर्द अब जाता भी नही...
और मन में कुछ और आता भी नही...
लेकिन मालूम है कि जो है वो तो अब है ही...
उसकी वजह से खो जाऊं मैं कितना ही...
खोकर भी पाऊंगी क्या...
खुद से नज़रे तब क्या मिला पाऊंगी क्या...
ठोकरें मिली है... ठेस लगी है... दिल में हर चीज की टीस बहुत ज्यादा है...
पर फिर भी दिल तो वही है न...
जिससे स्नेह निभाना भाता है...
और क्या ही करूं तकलीफ में खुद को रख के और कितना ही जियूं...
क्यों न कुबूल ही करूं जो कुछ भी है वो मेरे था मेरा है...
और किसी को उसके लिए दोषी क्या बनाना..
ऐसे भी जो वक्त बीत जाता है वो वापस कहां आता है...
दर्द है तो है बस अंदर कहीं कोई जज़्बात हैं अनकहे से इसलिए...
मुझे ऐसे भी सब कुछ कह देना कहां ही आता था चुप चाप रहना ही तो भाता था...
हर किसी को मेरा ये अंदाज कहां ही समझ आता था...
ये तो नही पता की की क्या सच में "एक वक्त के बाद सब ठीक हो जाता है"
पर मुझे ये पता है हर सच के साथ जीना आ ही जाता है...
बुरा हो या अच्छा हो आदत बना लो तो आदत बन ही जाता है...
क्यों की ये तो सच है की कुछ दर्द कभी नही जाता है...-
Dear Teachers'
Thanku for enlighting us with all
the knowledge that you had given to us
Thanku for making us believe that for going a
mile you just have to learning stepping up one by one first
Thanku for being our friend sometime
by cracking jokes in extra periods
Thanku for teaching us more than
the subject u have been assigned
Thanku for being our parents,friend,
philospher,guru and guide for life
Thanku for giving us all you had and made us
believe that after darkness there is always a light
Thanku for ignoring your priorites,ur
health sometimes because you knew
that few more classes are needed for
us to learn how to touch the sky Or
atleast to learn how to try till you die
Thank you for making us believe that
we do mistakes only to learn how we can redo
things without that same mistake ever again
And failing is not a sin when we know
that giving up is not an option inspite
Thanku for resolving all those silly fights
(ma'am/sir he/ she said this first he/she hit first) hihi
Thanku is not enough for whatever every teacher
from pre school till date had given us
But saying thank you is atleast what we can
do so don't ignore doing this for the
gurus who made us who we are today-
जानती हूं सब कुछ...
बस जानना ही चाहती नही...
अब भी मानना चाहती नही...
लगता है ये नींद हो...
और जब जागूं तो ये सब कुछ जो हुआ है ना हुआ हो...
बुरे सपने की तरह सुबह के उजाले में खो जाए...
एक रोज ये मुश्किल खत्म किसी भी तरह बस हो जाए...-
बिखरा हुआ सा टूटा हुआ सा दिल मेरा...
जाने क्यों मोहब्बत पर अब भी यकीन करता है...
जाने क्यों धोखे फरेब की इस दुनिया में भरोसे पर से भरोसा करने से नहीं मुकरता है...
जाने क्यों आज भी मानता है की गलत लोग मिले...
या गलत हो गया हो...
सही की तलाश और सही का साथ हमेशा सही राह पर ले ही आयेगा...
कुछ हो न हो... खुदा एक दिन बक्श देगा मुझे आजाद करेगा इस दर्द से जरूर...
वक्त लगेगा पर मेरे हक में मेरे हिस्से का जरूर आयेगा...
कितना भी दर्द हो... दर्द कितनी देर तक रहेगा... "वक्त ही तो है गुजर जाएगा"...-
2 sept. 2022... एक साल पहले यही दिन था ...
तबियत खराब उठने की हिम्मत नही और फिर ठाना था... की उठूंगी... और जाऊंगी बाहर भी...
लाऊंगी सब सामान जो चाहिए खरीदकर
डॉक्टर को दिखाया था बस इसलिए ही की दवाई से ठीक जल्दी हो जाऊंगी पर वो भी जल्दी असर न की जितना किसी के खयाल और किसी से मेरा लगाओ कर गया
बात साथ की थी साथी की थी और उनसे जुड़ी हर याद की थी
आखरी सेमेस्टर का पता था इसके बाद चाहे कितना भी बदले कैलेंडर मौका नहीं आपायेगे
बहुत कुछ बाकी था उनसे कहना वो कैसे मेरा मन फिर कभी कह पाएगा
हिम्मत जुटाकर उठी और लग गई काम पर स्याही तस्वीरे यादें और मैं मेरी साथी के लिए
आज भी वो उससे संभालकर रखती होंगी बड़े ध्यान से मुझे मालूम है न वो कैसी हैं करती तो है ही वो मुझसे प्यार हैं
मुझे आज भी नही पता हिम्मत कैसे आई और कितना कुछ रह गया कहना पर कितना कुछ कह भी पाई
प्यार तकरार और फिर प्यार ये सब हमारी दोस्ती की रही है मिशाल
ये सब इसलिए क्यों की वो है ही इतनी कमाल
मैंने न साथी लिखा और स्नेह लिखा एक शब्द उन्होंने दिया एक नाम जो मैंने रखा
स्नेह के साथी हम दोनों ही बने
कई झगड़ों के बाद भी एक साथ रहे बस आज वो कहती हैं past is past पर मेरे लिए तो past में भी उनकी वो सारी memories हैं खास भूलना भी नही है मुझे चाहे हो वो मुझसे दूर हो या मेरे पास
साथी कहा था उन्होंने मैंने मना है मैं तो यादें रखूंगी अपने उतने ही साथ-
2 sept. 2022... एक साल पहले यही दिन था ...
तबियत खराब उठने की हिम्मत नही और फिर ठाना था... की उठूंगी... और जाऊंगी बाहर भी...
लाऊंगी सब सामान जो चाहिए खरीदकर
डॉक्टर को दिखाया था बस इसलिए ही की दवाई से ठीक जल्दी हो जाऊंगी पर वो भी जल्दी असर न की जितना किसी के खयाल और किसी से मेरा लगाओ कर गया
बात साथ की थी साथी की थी और उनसे जुड़ी हर याद की थी
आखरी सेमेस्टर का पता था इसके बाद चाहे कितना भी बदले कैलेंडर मौका नहीं आपायेगे
बहुत कुछ बाकी था उनसे कहना वो कैसे मेरा मन फिर कभी कह पाएगा
हिम्मत जुटाकर उठी और लग गई काम पर स्याही तस्वीरे यादें और मैं मेरी साथी के लिए
आज भी वो उससे संभालकर रखती होंगी बड़े ध्यान से मुझे मालूम है न वो कैसी हैं करती तो है ही वो मुझसे प्यार हैं
मुझे आज भी नही पता हिम्मत कैसे आई और कितना कुछ रह गया कहना पर कितना कुछ कह भी पाई
प्यार तकरार और फिर प्यार ये सब हमारी दोस्ती की रही है मिशाल
ये सब इसलिए क्यों की वो है ही इतनी कमाल
मैंने न साथी लिखा और स्नेह लिखा एक शब्द उन्होंने दिया एक नाम जो मैंने रखा
स्नेह के साथी हम दोनों ही बने
कई झगड़ों के बाद भी एक साथ रहे बस आज वो कहती हैं past is past पर मेरे लिए तो past में भी उनकी वो सारी memories हैं खास भूलना भी नही है मुझे चाहे हो वो मुझसे दूर हो या मेरे पास
साथी कहा था उन्होंने मैंने मना है मैं तो यादें रखूंगी अपने उतने ही साथ-
एक लेखक के मन की कशमकश
लिखना और मिटाना...
ये लिख दूं की मोहब्बत है...
या ये लिख दूं की जरूरत है...
ये लिख दूं कि तन्हा है दिल...
या ये लिख दूं की साथ ढूंढता है दिल...
लिख दूं सब कुछ की सुबह की चाय,
दिन की चहल पहल, शाम का इंतजार, रात और खामोशी...
या फिर मिटा दूं लिख के सब...
मेरा इंतजार, मेरी बेकरारी, मेरी खामोशी, मेरा दर्द, क्यों बताऊं दुनिया को...कश्मकश लेखक का मन...
पर लिखना और मिटाना भले कितनी दफा भी हो...
अंत में स्याही लिखेगी जरूर...
वही सब इंतजार, प्यार, बेकरारी, दर्द... खामोशी... दस्तक... धोखा... वफा...
क्यों की मिटा तो हर कोई रहा ही है...
किसी को तो लिखना पड़ेगा ना...
वरना यादें कैसे बन पाएंगी...बुरी या अच्छी...
जीवन में आगे बढ़ना...चलते चलना...
सहना भी और कहना भी...
वक्त निकालना भी और वक्त देना भी...
और किसी का वक्त बनना भी...लिखना तो पड़ेगा ना...
लेखक की कश्मकश में...लेखक को...
लिखने और मिटाने में...लिखना ही चुनना पड़ेगा ना... हमेशा नही...
कुछ कहानियां मन ही जान पाता है कहा नही जा पाता है...
पर हमेशा चुप भी नही...
क्यों की स्याही से नही कहेगा तो ऐसे तो कोई लेखक ज्यादा कहता भी नही...
है ना...-
Dear YQ...
It's your birthday and I just wanna thank you...
Thank you for making me write anything and everything...
Thank you for believing in raw talents...
Thank you for giving us a wonderful platform...
Thank you for making me part of this beautiful family...
Today... I know that I am writing everyday
because I had started from this place...
You will always hold a special place here❤️...
In hardships, in situationships,
in love, in heartbreak, in friendship,
in loneliness, in each facet of life...
you were here to who held me...
And made me write it all down even if it's pains inspite...
I am grateful I joined you...
and you gave me so much...
thank you thank you very very very much...
and a very happy birthday... loads of love...🫶-