कुछ इस तरह से इश्क निभा रहे है वो...
थोड़ा गुस्सा,थोड़ा प्यार दिखा रहे है वो...
मेरी हर कमियों को दूर किए जा रहे है वो..
मेरे रूह में समाए जा रहे है वो...
के मेरे खतिर खुद को भी भुलाए जा रहे है वो...
मुझे अपना बनाए जा रहे है वो...
कुछ इस तरह से इश्क निभा रहे है वो...
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खुशी है की लिख रही हूँ...
रुक ना जाऊँ डरती हूँ...
पर हां खुद पे यकीन खुद से ज़्यादा करती... read more
जहां उम्मीद ना हो वहां इंतजार कैसा...
जहां लफ्ज़ो में बताना पड़े वो इज़हार कैसा...-
खंजर तो सिर्फ ज़ख्म देता है...
असली मौत तो अपनो के बर्ताव से होती है...-
जब इन में लफ्ज़ो खामोशी छा जाती है...
आँखें शोर मचाती है...
जब तू मेरे दिल का हाल समझ नहीं पाती है...
आंखें शोर मचाती है...-
Life is a great journey..
But what will happen the next moment no one know..
Sometimes we get bored with this life..
But life always teaches us something..-
एक ऐसी आग में जले जा रहे है...
ना कोयला बनें, ना राख बन पा रहे है...-
जब तक बर्दाश्त हो तब तक कर पाती हूँ...
उसके बाद खुद ही रोने लग जाती हूँ...
कुछ इस तरह ही तुझ पे अपना गुस्सा निकाल पाती हूँ...-
हालात इनकार कर चुके हैं मिलन को हमारे...
बस उम्मीद कह रही थोड़ा इंतजार कर प्यारे...-
बेटी के मन की बात है...
दिखने में होशियार थी...
उम्र बारह पार थी...
बाप के कंधे पे सवार थी...
अरे जनाज़ा ना था उसका...
एक बीमारी से लाचार थी...
हालात से लड़ रही थी...
उम्र उसकी बढ़ रही थी...
आने वाले वक़्त से अनजान थी...
भूल बैठी की कुछ दिन की मेहमान थी...
जाने का वक़्त था आया...
फ़िर बेटी को बाप ने कांधे से लगाया...
हर दुख से बेटी अनजान हो पिता ने खुदा से यही फ़रमाया...
ना जाने पिता को इतना मज़बूत खुदा ने कैसे बनाया...
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