Seema Indora   (IG~indoraseema33)
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Joined 17 May 2021


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Joined 17 May 2021
29 MAY 2022 AT 13:38

हम अच्छे थे या बुरे थे
इसकी ज़रा खबर तो रखते..

दुसरो की कही सुनी बातों में आकर
बिन बताए पीछे मुड़ गए,
वरना हम तो मैय्यत में भी तेरे साथ ही चलते।

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20 MAY 2022 AT 8:21

शायद अपनी हंसी वाले नकाब के पीछे हजारों गम छिपाता है..
कि अपनी हंसी वाले नकाब के पीछे शायद हजारों गम छिपाता है..
यूंही नही वो इतना प्यारा मुकुराता है.....
दिल करता तुझपे खुद को वार दूं..
तेरी इस झूठी हंसी का मुखौटा तेरे चेहरे सेउतार दूं...
अगर हो इजाज़त तेरी गले लगाकर तुझको इतना प्यार दूं

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9 MAY 2022 AT 22:54

जो इजाज़त हो तेरी...
तेरी दिल की दरगाह पे
अपने घुटने टेक लूँ...

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8 MAY 2022 AT 23:03

आजकल ...आज और कल में ही पिसती जा रही हूं
पता नहीं क्यों खुद को मैं इतना बेबस पा रही हूं...

जो बातें कहना चाह रही हूं वो कह नहीं पा रही हूं..
लिखना जो चाह रही हूं वो लिख नहीं पा रही हूं।
आजकल ... मैं
बस इस आज और कल में ही पिसती जा रही हूं।
वजह क्या है ..इस बेबसी की... कुछ समझ ही नहीं पा रही हूं।

जो कल बीत गया .. उसके बीतने का शौक मना रही हूं।
आने वाले कल ना जाने कैसा होगा..
इसकी चिंता में...खुद को....जिंदा जला रही हूं..
और..
इन सब बातों के बीच...,
मैं अपने आज और अब की खुशियों को ..
अपने ही हाथो ही दफना रही हूं।।

समझ नही आता जाना किस राह था
और किस राह जा रही हुं...
आजकल बस इस... आज और कल में ही पिसती जा रही हूं..
पता नही क्यों खुद को मैं इतना बेबस पा रही हूं।।


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27 SEP 2021 AT 18:16

बांध उम्मीदों की गठरी हम दिवाने चले है
तमन्नाओं के शहर मे मंजिल को पाने चले है ।
सच्चा साथ पाना और निभाना
बड़ा मुश्किल है.. किसी के साथ
इस मतलबी जमाने में
फिर भी हम खुद को आजमाने चले है।।

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23 SEP 2021 AT 16:17

इस बारिश के सुहाने से मौसम मे
किसी ने तेरी सिफ़ारिश लगाई है...
बताया गया है कि बहुत अकेले हो गए हो आप;
मुझे अपने दिल से निकालने के बाद..
आपके फैसले पर ही तो मैने फासले बनाए है ना..
फिर अब कैसे आपको जनाब!
मेरी याद आई है।।

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16 SEP 2021 AT 20:34

टूटे से ख्वाबों को फिर से मै जोड़ना चाहती हूं..।
हार गई जो दौड़ जिंदगी की .. उस दौड़ में फिर से मै दौड़ना चाहती हूं...।।



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1 SEP 2021 AT 21:17

ना रोक अभी कदम
थोड़ा सा और चल ए मेरे हमदम
आ रही है मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट
शायद वजह है तेरे आने की आहट
बस कुछ दूर तुम चलो
कुछ मैं चलती हु
अगली ही गली में है घर मेरा
मैं तुम्हें वहां मिलती हु

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19 AUG 2021 AT 6:40

बेशक तू बेकसूर है
तेरे दिए दर्द मे भी तो मेरा कसूर है।
तूने तो नही कहा कि कर मुझपर यकीं ..
तो कैसे दोष दु तुझे, मुझ पागल पर ही
तेरे इश्क़ का सरूर है..।।

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13 AUG 2021 AT 16:34

तुम्हारी बातों पर करके यकीन खुद को तुम्हें सौंप बैठी मैं...
तुम्हारी आदत थी बात बात पर कसम खाने की
झूठे से तरीकों से मुझे मनाने की,
ये कैसे भूली मै कसम तो अकसर झूठे लोग ही खाते है।
वरना...
निभाने वालों तो बिना कसम खाए भी....
राहें–मंज़िल ढूंढने बिन बताए बिन बुलाए ही..
साथ देने चले आते है,
झूठे लोग ही अकसर कसम खाकर अपनी बातों पर यकीं दिलाते है..।।


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