सत्य के लिए हिम्मत चाहिए प्रलोभन नहीं।
सत्य मन की हकीकत है छलावा नहीं।-
Working as Dy.Supdt.
ईश्वर का असली बसेरा मन में है,
जहां विचार पवित्र हों, वहीं उसकी रिहाइश है।
अगर मन में मलिनता हो तो,
फिर वह बस एक खाली मकान ही रह जाता है।-
हर गुजरने वाला मौसम
बारिश का नहीं होता।
कभी तो किसी और बात पर
बात कर लिया करो।
हर भीगना
कोई कविता नहीं बनाता।
और हर छींकना
इल्ज़ाम नहीं होता।-
कभी धोखा नहीं देगी जिंदगी की किताब।
भरोसा करना हो तो किताब पर कीजिए,
इंसानों पर तो वक्त के साथ भरोसे टूटते हैं,
मगर शब्दों का साथ नहीं छूटता।-
वो नाचते रहे—
पाँवों में महावर सजाकर।
हम भटकते रहे गुलशन में,
ढूँढते रहे कोई ऐसा फूल—
जिसकी शक्ल हो उनसे मिलती-जुलती।
मगर फूलों से मुलाकात करते-करते,
काँटों ने घायल कर दिया वजूद।
और फिर—
हम भी पहुँच गए उनकी महफ़िल में,
पेश हुए,
अपने ही लहू की महावर लगाकर।-
जलना भी एक संस्कार है,
चिराग़ भी जीते हैं जीवन।
कितनी तपन सहते हैं ये,
पूछो इनसे उनकी कथा।
दूसरा भला क्या समझेगा,
जिस तन लागे, वही जानता।-
जब सांस अपना घर बदलने लगे,
बस एक बार मुझसे मिलने जरूर आना।
तेरी वो आख़िरी तस्वीर रखकर
मैं अपनी पलकों में चला जाऊँगा।
तेरे आख़िरी सलाम को सीने में समेटकर,
मैं फिर से किसी और जन्म की देहरी पर कदम रखूँगा।
और फिर से शुरू करूंगा वही जद्दोजहद,
तुम्हें पाने की…
तुम्हें अपना बनाने की।-
दिल तुम्हारा है पत्थर का,
मैं हूँ इक कांच का टुकड़ा।
कैसे टिकूंगा तेरे आँगन में,
तुम्हें छूते ही टूट जाऊंगा।
और फिर लोग कहेंगे—
"ये कांच ही गुनहगार था।"-
शरारत तो बस आंखों की थी,
जुल्म सारा तन पर हो गया।
आंखों ने तो चुपके से
रास्ता ही बदल लिया,
तन बेचारा रह गया
चाबुक की चोट सहता हुआ।
-
मैंने तुम्हें सोचना छोड़ दिया है,
अब मैं नहीं—मेरा ख्याल बोलता है।
मैं चुप रहता हूं,
लेकिन तेरा ख्याल चुप कहां रहता है?
हर वक्त तेरी ही बात करता है।
जब कहूं—बस, अब खामोश रहो,
तो वह मुझ पर बरस पड़ता है।
मुझसे मेरा सुकून छीन लेता है,
तेरा हर हक मुझसे खींच लेता है।
मैं तो अब कुछ नहीं कहता,
लेकिन तेरा ख्याल
कभी थमता नहीं,
कभी रुकता नहीं।-