Seema Choudhary  
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Joined 6 July 2020


Joined 6 July 2020
25 DEC 2020 AT 13:34

मोहब्बत के नशे में चूर थे हम।
अनजान शहर में गैरों में मशहूर थे हम।
थे करीब इतना तुम्हारे,अपनी रूह से दूर थे हम।
आसां नही होता हर हद से गुजरना
पर तुम्हारें ख्यालों में मशगूल थे हम।

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21 DEC 2020 AT 12:33

वक्तअच्छा रहा तो
किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी
ना कुछ कहने की ना, कुछ सुनने की दरकार होगी
बस वक्त के दरमियानो की लिखी एक कहानी होगी
बीत गया जो कल,
नजरों में फिर झिलमिलाएगा
मन फिर अधबुने से ख्वाबों को निगलना चाहेगा
जुमला अल्फाजों का जो ख्वाबों में बिखरा था
वक्त उन्हें सिलवटों में छुपाना चाहेगा
बेनाम इश्क, बेनाम ही अमर हो जाएगा
ना हकीकत से रूबरू होने के मंसूबे हैं
ना ख्वाबों से जाग जाने की
वर्तमान फिर दिल पर एक दफा दस्तक दे जाएगा
ख्वाबों की अठखेलियो के बीच
समझदार वक्त दो राह दिखलाएगा
एक पर तुम्हारी ,दूजे पर मेरी शाम ढल जाएगी

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29 SEP 2020 AT 11:15

रहा इंतजार कुछ बीसों-वर्षों का
जहांन्नुम है जिंदगी तेरे आने तक
मुकम्मल होगा इश्क हमारा
बस ख्वाबों से जाग जाने तक
रहोगी सरोबार निगाहों में
बस अश्कों के बह जाने तक
हिम्मत रखो कुछ कर गुजरने की
मेरे खुदा को प्यारा हो जाने तक
गिले करते-रहे गलियारे
नजराना-निगाहों का मिल जाने तक
मौत फिर इंतजार करेगी
तेरे एक दफा लौंट आने तक
लौट आने तक......

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27 JUL 2020 AT 22:40

पापा
मैं गुरूर हूं तुम्हारा
तुम हौंसला हो मेरे
मैं उम्मीद हूं तुम्हारी
तुम विश्वास हो मेरे
मैं रोशनी हूं तुम्हारी
तुम रवि हो मेरे
मैं ताल हूं तुम्हारा
तुम समंदर हो मेरे
मैं राग तुम्हारी
तुम समस्त संगीत हो मेरे
मैं सितारा हूं तुम्हारा
तुम आसमां हो मेरे
मैं अश्क हूं तुम्हारा
तुम नयन हो मेरे
मैं लेख हूं अधूरा
तुम विस्तार हो मेरे

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26 JUL 2020 AT 7:52

संघर्ष कल भी जारी था
आज के लिए और,
संघर्ष आज भी जारी है
आने वाले कल के लिए..

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20 JUL 2020 AT 14:16

नहीं हसरतें अब महलों- मुकद्दर की
स्वप्न का आशियाना अब झुका मत देना

भूल आया हूं अब इश्क़ के गलियारों को
अपने जिगर में अब पनाह मत देना

क्या खूब सोहबत है इन तन्हाइयों की
देकर सहारा इन्हें मिटा मत देना

गुजर गया हूं तुम्हारे बीच से वक्त बनकर
बुझ गई जो लौं उसे फिर जला मत देना

छोड़ आया हूं यादों के जिन खतों को
बीच बाजार में उन्हें बिकवा मत देना

नहीं हसरते अब महलों- मुकद्दर की
स्वप्न का आशियाना अब झुका मत देना

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14 JUL 2020 AT 11:40

बंद आंखों से बस
जाहन्नुम नजर आता है
निकाह की चकाचौंध में
एक परिंदा मुट्ठी में कैद नजर आता हैं
गिला-शिकवा कंरू किससे
अपनों में अब गैंर नजर आता हैं
कौंम के कानून से
जिंदगी में घुलता जहर नजर आता है
बंद आंखों से बस
जहान्नुम नजर आता हैं
सुर-ए-शहनाई के साथ
एक जिंदगी निलाम नजर आती है
यकीं नहीं होता अब पर
हर उजले चांद में दाग नजर आता है
इस खोखली जिंदगी में
एक अनजान खौंफ नजर आता है
बंद आंखों से बस
जहन्नुम नजर आता हैं

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12 JUL 2020 AT 20:52

क्या बताएं क्या बताएं क्या बन गई है जिंदगी,
अब हंसी रोशन दिन भी तन्हा रातों से गुजरते हैं

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12 JUL 2020 AT 15:11

सिंधु ने सरताज बनाया
वेदों ने ठुकराया था
हीन गति से गिरता हुआ,
अपना अस्तित्व पाया था
अपनी हवस का शिकार बनाकर,
कुसूर मेरा बतलाते हो
अपनी इस हरकत पर तुम इतना क्यों इतराते हो
हसना मेरी क्या खुब अदा थी
तुम घुंघट में बंद रखते हो
खुलकर चाहा जीना तो
तुम लाज-शर्म से बांधे रखते हो
अपनी इस हरकत पर तुम इतना क्यों इतराते हों
दिल का धरातल कांप उठा हैं
नैनों से बहती है ज्वाला,
अपने इन कुकृत्यों से
क्यों पृलय निमंत्रण देते हों

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6 JUL 2020 AT 19:43

एक दृश्य ने अन्दर तक
झकझोर दिया
जब एक कली को फूल बनने से
रोक दिया
बताकर खेलकूद लड़को का काम
उसके बचपन पर काला रंग पोत दिया
बताकर काला अक्षर भैंस बराबर
उसे चूल्हे-चौके में झौंक दिया
बताकर बाल-विवाह को जग की रीत
उसके जीवन का गला घोंट दिया
एक दृश्य ने अन्दर तक
झकझोर दिया

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