यह आजादी का स्वर्णिम अफसर यूं ही नहीं हम सबके जीवन में आया था ,
इस आजादी को पाने के लिए ना जाने कितने भारत मां के वीर सपूतों ने अपना लहू बहाया था ,
सुनी हुई थी कई नारियों की मांग यहां तो खोया था ना जाने कितने परिवारों ने अपना बेटे की जान ,
किसी ने खोया था अपने पिता को तो किसी का टूटा था अपने भाई से जीवन भर का नाता,
खून की आखिरी बूंद तक उन वीरों ने अपने जिम्मेदारियां को बखूबी निभाया था ,
लहराने को इस तिरंगे के लिए ना जाने कितने वीर सपूतों ने अपने सपनों की बलि चढ़ाया था ,
इतने संघर्षों के बाद मिली हमें जो आजादी उस आजादी का मान चलिए हम सब बढ़ाए
सोने की चिड़िया कहलाने वाले इस भारत को वापस से सोने की चिड़िया हम बनवाए
करें अथक प्रयास अपने भारत को गौरवशाली बनाने का बने हमारा देश महान और हम सब बने इसकी महान संतान
इस आजादी के उत्सव को हम सिर्फ एक रोज नहीं बल्कि हर रोज मनाए इस उन्नासिये 79 स्वतंत्रता दिवस को हम इस जोश से मनाए की हर दिन लगे हमें आजादी का अमृत महोत्सव
कुछ इस तरह से हम सब आपसी भाईचारे को निभाएं
जुड़े हम सब मन से और अपने कर्तव्यों को बखूबी निभाएं ताकि गुलामी की वह बेड़ियां दोबारा कभी से हमारे भारत को गुलाम न बन पाए
यूं ही फलता फूलता रहे हमारा देश और हम भी बने इसकी संपन्न संतान
जय जयकार हो हम सब की भी और कहलाए हम सब भारतवासी महानऔर कहलाए हम सब भारतवासी महान
-Seema Chakar
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मुझे घर बहुत याद आता है अपनो के साथ बिताया वो खूबसूरत कल याद आता है कुछ दोस्तों के साथ बीता वो खूबसूरत सफर याद आता है टीचर्स से मिली तारीफों का वो खूबसूरत भंवर याद आता है,
वो पापा का पूछना स्कूल में कोई दिक्कत तो नहीं होती मैनेजर और स्टाफ के लोग तो ठीक हैं
तुमको बहुत मेहनत पड़ती होगी न सीमा ,
वो मम्मी का दर्द के समय oil से मसाज करना याद आता है वो शांति का बिन बताए ही मेरे लिए मेरा स्केच बनाना याद आता है,
वो सरोज का हल्की सी बारिश में पापड़ लेकर आना याद आता है वो सुमन का ये ट्रेंडिंग है ये ले लो कहना याद आता है वो संदीप का स्कूटी सिखाना याद आता है वो अपना घर पुराना याद आता हैं,
वो हल्की बारिश में म्यूजिक प्ले करके बालकनी में खुद का थिरकना और कविताएं लिखना याद आता है वो खुद का मुस्कुराना याद आता है वो सबके साथ बैठ कर खाना खाना याद आता है वो अपने तीन बच्चों का मुझे अकेला छोड़ कर जान याद आता है वो सबके साथ से अंजान होने का सफर याद आता है ज़िंदादिल लड़की से जिंदा लाश बनने तक का सफर याद आता है वो सब कुछ बेबाकी से बोलने वाली लड़की से अपनी हसरतों को मन में मारने का सफर भी याद आता है ज़िंदगी में बहुत कुछ करना है से लेकर बतमीज और बद्दीमाग होने का टैग मिलने का सफर भी याद आता है वो सबकुछ आसानी से हैंडल करने से लेकर कुछ न कर सकने वाली लड़की होने का सफर भी याद आता है हा मुझे घर बहुत याद आया है-
भ्रम
इस भ्रम में न रहें आपसब कि
ज़्यातर रिश्ते खास होते हैं!
आधे से ज्यादा तो
आस्तीन के सांप होतें हैं!
और कुछ तो धीमें -धीमें डसने वाले
ज़हरीले नाग होते हैं!!
इस भ्रम में न रहें आपसब कि
ज़्यादातर रिश्ते .... ..............
-Seema Chakarvarti...-
आइए आज आप सबको एक ऐसे सफर पर ले जाती हूं ,जहां पढ़ाई की एक अलग ही और खूबसूरत दुनिया से आपसबकी मुलाकात करवाती हूं ,
टीचर्स तो बहुत देखे होंगे आपने पर एक बहुत खास
टीचर से मैं आज आप सबको मिलवाती हूं ,
पढ़ाने का अंदाज है उनका बहुत खास बच्चों के दिलों में करते हैं वह निवास ,
बहुत ही आसानी से करते हैं वह बच्चों की हर समस्या का समाधान अपने सब्जेक्ट पर है उनकी गजब की कमांड पर साथ ही साथ दूसरे सब्जेक्ट्स का भी रखते हैं वो ज्ञान,
पर कभी नही करते हैं वो खुद पर अभिमान ,
हर पल कुछ नया सीखते हैं वो और सभी को प्रेरित करते हैं की आप भी है महान इंसान वीक से वीक बच्चों को भी वह डिस्टिंक्शन सिक्योर करवाते हैं ऐसा है उनका खास स्थान हर समस्या का करते हैं वह चुटकियों में समाधान बच्चों के साथ कभी बच्चे बन जाते हैं तो बड़ों के साथ कभी बहुत ही गजब के सुझाव वह दे जाते हैं एक महान मेंटोर के रूप में जाने वह जाते हैं एक अच्छे पिता एक पति एक अच्छे गुरु, पथ प्रदर्शक,मित्र और एक बहुत अच्छे इंसान के रूप में वह जाने जाते हैं
अपने बायोलॉजी के टॉपिक्स से मेरा बायो पड़ने का मन वो फिर से जागते हैं मन करता है सीमा का बन जाए वो आपके क्लास की स्टूडेंट और ले फिर से बायोलॉजी का ज्ञान क्योंकि आप गुरु है बहुत महान।
बहुत मुश्किल है मिलना आप जैसा इंसान हे गुरुवर आपको कोटि कोटि प्रणाम ,
वो और कोई नही वो है डीपी सर महान !🙏🙏-
दूसरों के लिए खुद को खो देने वाली मैं!
मैंने खुद के लिए किसी के अंदर अपनापन नही देखा!
देखा बहुत लोगों को अपनो की कतार में
पर किसी के अंदर अपने लिए अपनापन नही देखा!!
दूसरों के लिए खुद को ....
-Seema Chakarvarti....-
सपनो की लहर में खेल रहे हैं
क्या कहे हम किससे की हम अंदर ही अंदर
कितना दर्द झेल रहे हैं
जब कहने को बहुत कुछ हो अंदर ,
और सुनने और समझने वाला कोई न हो तब
दर्द का जो उठता है समंदर
उसकी लहरे कभी नही आती ऊपर !
पर वो लहरे चीर कर रख देती हैं भावनाओ का अंबर!
आंखे रहती हैं नम हर दम ,
अब तो आंसू भी नही आते जो हल्का हो जाए
कुछ हद तक दर्द का ये समंदर ,
झूठी हंसी हस - हस कर थक गए हैं अब हम
चाहते है सब कुछ छोड़ कर चले जाए
मिलने अपने मासूम बच्चे से धरती को पार करके
आसमान में ऊपर ,
जहां खत्म हो जाए हम और हमारा ये दर्द का समंदर
!!
Seema Chakarvarti....-
हा तुझे जी भर के देखा भी नहीं अभी
और तू मुझको अकेला छोड़ कर चला गया!
बहुत खलता है तेरा यूं तीन बार चले जाना
आकर मेरे पास फिर मुझसे दूर चले जाना!
बहुत दुख होता है जब कोई ये कह कर एहसास दिलाता है
ये कह कर कि मेरी 3 साल की बेटी हैं मैं नही जा सकती
आप इनको जरूर ले जाइए अपने साथ ट्रेनिंग में
इनका तो कोई है ही नही ,
या जब कोई बुजुर्ग अपने ही घर में बैठ कर
किसी गेस्ट से कहती है
इनका 2 बार मिसकैरिज हो गया तबसे बच्चे हुए ही नहीं
दिल चीखता है कि यार अभी नवंबर 2024 में ही
मिसकैरिज हुआ है सिर्फ 4 महीने बीते है मुझे
मर कर दोबारा से जिंदा होने में !!
तबसे बच्चे हुए ही नहीं!!!!!!
😭😭😭😭😭😭😭-
आशा/ उम्मीद/ जीवन
जीवन का सबसे बड़ा भ्रम/ छलावा,
या कहें तो झूठा विश्वास/ या आस!!
ये है की सब्र करो सब ठीक हो जाएगा,
उम्मीद रखो सब ठीक हो जाएगा!
पर सच्चाई ये है की कुछ ठीक नहीं होता ,
हा फर्क इतना सा है कि सब्र करते - करते
इंसान सहना सीख जाता है!!
और जो सहना सीख जाता है ना
वो शिकायत करना भूल जाता है !!
क्योंकि तब तक इंसान जिंदा लाश बन जाता है!!
और तब कोई फर्क नहीं पड़ता किसी की आस का
या किसी के साथ का !!
- Seema Chakarvarti...-
Very Important Information
Dear teachers we hereby inform you that here is a Vacancy of Social Science, Computer, Economics teacher in Maharshi Dayanand Balika Inter College Manauri Prayagraj.
Intrested Candidates please contact me or inbox.-
होली है
होली ही एकमात्र ऐस फेस्टिवल है
जिसमें लड़कियों को
मेकअप करने की जरूरत महसूस नहीं होती है!!
क्यों 🤔🤔
तरह - तरह के कलर करेक्टर
(मेकअप प्रोडक्ट)
ऑटोमैटिक ही फेस पर लग जाते हैं
आपलोग भी न समझते नही है!!
कोई नही मैं हूं ना
मैं एक्सप्लेन अच्छा करती हूं
- Seema Chakarvarti...😂😂😂
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