Manva kyo udas hai,
Kuch toh baat hai,
Haste chehre ke piche nakab, khash hai...!-
Being civil engineer
Khta kya hai ye toh btao,
Gunah kya hai ye toh btao,
Kyo yu dheere dheere maar rhi ho,
Esa karo banduk lo dil mai utar do!
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अब तलक मुझ सी किसी पर भी नहीं गुजरी है
मैं बहारों में जला और किनारों में बहा,
मैंने हर आंख में ढूंढा है प्यार अपने लिए
दिल मेरा प्यार भरा प्यारा का भूखा ही रहा।
जिंदगी मेरी सिसकती रहेगी क्या यूं ही
क्या मुझे कोई सहारा न मिल सकेगा कभी?
बहारें देखती हैं मुड़ के मगर रुकती नहीं,
कोई भी फूल क्या मेरा न खिल सकेगा कभी?
इससे बढ़ कर के भला और क्या है मजबूरी
अपने अरमानों की लाशों पर मुझे चलना पड़ा,
छिपाता आया हूं जिसको मैं बड़ी मुद्दत से
आज सब के ही सामने वह राज कहना पड़ा।
अब तलक मुझ सी किसी पर भी नहीं गुजरी है
मैं बहारों में जला और किनारों में बहा,
मैंने हर आंख में ढूंढा है प्यार अपने लिए
दिल मेरा प्यार भरा प्यार का भूखा ही रहा।
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अभी और भी मंजिलें हैं। अभी और भी आसमान हैं।
दिल के सहरा में कोई आस का जुगनू भी नहीं।
इतना रोया हूं कि अब आंख में आंसू भी नहीं।।
कासाए-दर्द लिए फिरती है गुलशन की हवा।
मेरे दामन में तिरे प्यार की खुशबू भी नहीं।।
छिन गया मेरी निगाहों से भी एहसासे-जमाल।
तेरी तस्वीर में पहला सा वो जादू भी नहीं।।
मौज-दर-मौज तेरे गम की शफक खिलती है।
मुझे इस सिलसिलाए-रंग पे काबू भी नहीं।।
दिल वो कमबख्त कि धड़के ही चला जाता है।
ये अलग बात कि तू जीनते पहलू भी नहीं।।
ये अजब राहगुजर है कि चट्टानें तो बहुत।
और सहारे को तेरी याद के बाजू भी नहीं।।
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Samjh nhi aa rha khuda ye kaisa karobar hai, jindgi ji rhe hai ya maut ka intezar hai....!!
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आँख उठाकर भी न देखूँ, जिससे मिले न मेरा दिल ,
मरते दम तक साथ ना छोड़े जिसमें मिल जाए मेरा दिल,
जबरन सबसे हाथ मिलाना, मेरे बस की बात नहीं.!”.....-
Meri Mohabbat Ki Hadd Na Tay Kar Paoge Tum
Tumhe Saanso Se Bhi Zyaada Mohabbat Karte Hain Hum....-
People run in packs beacuse they don't feel safe alone. I run alone beacuse I don't feel safe in packs......
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अब तलक मुझ सी किसी पर भी नहीं गुजरी है
मैं बहारों में जला और किनारों में बहा,
मैंने हर आंख में ढूंढा है प्यार अपने लिए
दिल मेरा प्यार भरा प्यारा का भूखा ही रहा।
जिंदगी मेरी सिसकती रहेगी क्या यूं ही
क्या मुझे कोई सहारा न मिल सकेगा कभी?
बहारें देखती हैं मुड़ के मगर रुकती नहीं,
कोई भी फूल क्या मेरा न खिल सकेगा कभी?
इससे बढ़ कर के भला और क्या है मजबूरी
अपने अरमानों की लाशों पर मुझे चलना पड़ा,
छिपाता आया हूं जिसको मैं बड़ी मुद्दत से
आज सब के ही सामने वह राज कहना पड़ा।
अब तलक मुझ सी किसी पर भी नहीं गुजरी है
मैं बहारों में जला और किनारों में बहा,
मैंने हर आंख में ढूंढा है प्यार अपने लिए
दिल मेरा प्यार भरा प्यार का भूखा ही रहा।
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मुद्दत से तलब थी,
दीदारे यार की,
मिला तो यू मिला,
कि अब साथ ही रहता है !-