वक़्त के साथ रिश्ता मुक़्कमल होता गया
हम थोड़े उनसे, वो थोड़ा मुझसा होता गया-
मुस्कुराट देख कर उनकी हम होश गवा बैठे ,
हम होश में आने को ही थे कि वो फिर मुस्कुरा बैठे।-
बदल ही दे मफ़हूम हमारा
ऐसे माथा चूम हमारा!
पहले ही इश्क़ में बिगड़ गए थे
इश्क़ नहीं मासूम हमारा!!
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आपकी ख़ामोशियों को भी , कभी - कभी समझ नही पाते .........
पढ़ रहे हैं हमें ......
या समझ रहे हैं हमें .....!-
पैर क्या फिसला, इल्जाम चप्पल पर लगाया सबने ...
हमेशा तपती जमीन और कांटों से बचाया था जिसने !!-
वक्त भी हार जाता है कई बार जज़्बातो से,
किसी के लिए कितना भी करो कम ही पड़ जाता है।-
सुनो
भागती ज़िन्दगी में...
जब भी ठहरने का दिल करता है...
तुम्हारा ख़्याल साथ देता है हमारा..!-
थक से गए है खुद को
साबित करते - करते,
अब तो गुनहगार बन ही बेठे
तेरे इल्ज़ाम सहते - सहते .!!
पछताओगे उस दिन ,
जब सच तो होगा सामने ,
ले भी न पाओगे
अपनी बदुआ को वापस
तुम रोते रोते ...!!
थक सी गई अब खुद को
साबित करते - करते.-