उसी का ज़िक्र, उसी की बाते, उसी की कहानी तुम कुछ और क्यों नही सुनाते अपनी ज़ुबानी ये इश्क़ है "वसीम" यहाँ सब की एक परेशानी वही दर्द, वही ज़ख़्म और वही किस्से कहानी
पास नही तू, फिर ऐसा क्यूँ दिल जब दुखे, तू याद आये क्यूँ सवाल ये नही, अब तू है नही पर इंतेज़ार ऐसा.... पलके झपकू और सामने आ जाए तु ख़ैर... ये बातें तो, दिल बहलाने को और बता तू अपनी, ख़ुश तो है ना तू
हम आज तक वहीं जज़्बात लिए बैठे हैं भूल ना जाएं कहीं, इसीलिए वही बात लिए बैठे है रख कर हाथ मेरा अपने हाथ में जिसने सहारे की उम्मीद दी थी आज वही अपने हाथों में किसी और कि सौगात लिए बैठे हैं।