Ek Titli Hai Gulshan Me , Jo Phoolon Pe Hai
Ek Ladki Meri Palko Ke Jhoolon Pe Hai..!!
Mere Har Izhar Par Inkar Hai Use
Aisa Nhi Muhabbat Nhi Hai Use , Bas Woh Apne Usoolon Pe Hai ..!!-
तू चमन में महकता गुलाब था
तू मेरी आंखों में झलकता ख़्वाब था !!
कभी तन्हा रातों को चांद में निहारा तुझे
कभी नदियों के किनारे पुकारा तुझे !!
मै मृग सा कस्तूरी ढूंढता रहा, जो मिलता नहीं
भूल गया था तू वो सितारा है ,
दिन में जो निकलता नहीं !!
जो आइने से मैंने हासिल किया
तो खुदको सच कहने के काबिल किया !!
अब जो भी मुकद्दर है सहना पड़ेगा
मुझे आसमां, तुझे जमीं बनके है रहना पड़ेगा !!-
किताबों में लिखी अनकही कहानी हूं मैं ,
रुके हुए दरियों की रवानी हूं मैं !!
कहने वाले बहुत कुछ कह गए "शाहिद"
कुछ न कह पाने वालो की ज़ुबानी हूं मैं !!-
बड़े दिलकश , बड़े रोशन नजारे हैं
मानो जैसे आसमां में बिखरे तारे हैं..!!
इक आवाज़ पर दौड़े चले आएं
ऐसे ही कुछ दोस्त हमारे हैं ..!!
( . . . . जारी )
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Before her
the world was so
beautiful.
Everything was
attractive and
everyone was
lovely.
After her
I have my
parameters
also everything
is dull .
Everyone
compared by me
with her ..!!-
Am I the sun ?
No, I'm not sun
I haven't my light
And heat .
Am I the moon ?
No, I'm not moon
I haven't my own
Satellite around me .
Am I the earth ?
Surely not , haven't
Too much crowd in me .
Am I the sky ?
Umm , Actually yes ,
I'm the sky
Coz, I have
My fast friends ,
Who shine , light
And furnish my life
Yeah ! " I'm the sky "-
कभी हमराह थे हम तेरे
आज हमसफर कोई और है
कोई बात नहीं ...!!
कभी ख्वाब थे हम तेरे
आज हकीकत कोई और है
कोई बात नहीं...!!
ना इत्तेफाकियां हैं दरमियां
मगर बात इतनी भी बिगड़ी नहीं
बेवजह मै तुझसे रूठ जाऊं ऐसी
कोई बात नहीं ...!!
मैं मुकद्दर तेरा ना सही
पर प्यार तेरा था कभी
सहर-ओ-शाम दो वक्त हैं
आज मेरा हिस्सा वस्ल-ए-गम ही सही
कोई बात नहीं ...!!
भूल गया हूं हर बात मगर
तुझको आज भी भूला मैं नहीं
भूल गया बात-बात पर कहना कोई ना
अब तो मुंह से यही निकलता है "चलो मियां
कोई बात नहीं" ...!!
मुश्तकबिल तुम्हारा रोशन हो
रहो शाद-ओ-आबाद तुम
यहां "शाहिद" खैरियत से है घबराने जैसी
कोई बात नहीं ...!!-
भले ही तेरी नजरों मैं पराया हो गया हूँ
मगर तू शामिल है मेरे गुनाहों में ।।
जो तूने ढील दी है
मैं आवारा हो गया हूँ ।।-
Ruksat muqaddar to nahin
fir bhi darta hoon
tumhe khone se...
tere hone se
sare sitare aangan me hai mere
ghar soona hai tere na hone se...
yeh mera waham hai ki
nind ki aagosh juda kar degi
mujhe tujhse , teri yaado se...
gar yeh sach hai
to hmara mar jana achcha
aise sone se ...!!
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