Sayan Dutta   (D'Dutta)
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Joined 17 February 2018


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Joined 17 February 2018
3 JUL 2022 AT 15:19

अब लिखना छोड़ दिया मैंने
अपने ज़ख़्मों को कुरेदना छोड़ दिया मैंने,
यह कोरा कागज़ मेरे सफेद इश्क़ की निशानी है
इस पर काला दाग लगाना अब छोड़ दिया मैंने। 
हां , अब लिखना छोड़ दिया मैंने  ।।

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5 FEB 2022 AT 17:46

तुमने अनसुना कर दिया सुनकर भी हमारी बात
और हम तुम्हारी अनकही बातों को समझने बैठ गए ,
उन्होंने किस्सा बदल दिया बड़े सलीके से
और हम वही पुराने किरदार निभाते रह गए !!

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2 JAN 2022 AT 16:43

वफा के चर्चे बहत हो रहे हैं शहर में ,,
लगता है फिर से दिल टूटा है आज किसी का !!

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26 DEC 2021 AT 17:00

क्या आज भी बंद है तुम्हारे दिल के दरवाज़े ?
क्या आज भी हमारा प्यार बस दहलीज़ से लौट आएगा ?
सच बताना क्या एक बार भी याद नहीं आया मैं तुम्हें ?
क्या आज भी सड़क में कोई मुझे देखकर ,बस यूं ही मुकर जाएगा ?

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13 DEC 2021 AT 12:23

अचानक मेरी इतनी फिक्र क्यों हो रही है तुम्हें ,,
लगता है फिर से दिल तोड़ने का इरादा है तुम्हारा !!

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4 DEC 2021 AT 14:09

मिलोगी किसी मोड़ पर अकेली अगर ,,
साथ चलने का वादा फिर से करेंगे !!

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28 NOV 2021 AT 13:10

मैं बात करने को तरसता हूं
कोई मुझसे बात करता नहीं ,
मैं आस लगाए बैठा हूं
वह मेरे घर को आते नहीं ;

और लोग कहते हैं की
अब मैं याद नहीं आता उन्हें ,
अगर ऐसा है तो
मेरी हिचकियां बंद होती क्यों नहीं ??

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21 NOV 2021 AT 17:01

जहां से चलना शुरू किया था ,
वह सोचती रही कि मैं रास्ता भटक गया
पर मैंने मंज़िल तो बस वहीं देखा था ।।

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14 NOV 2021 AT 14:14

किसी ने शायद चोट पहुंचाया है इसे
सुबह से मायूस होकर बैठा है ,
सूरज से मानो जैसे रिश्ता ही खत्म हो गया
कुछ इस तरह आज यह आसमान अंधेरों से ढका है ;

सड़कों पर ना तो गाड़ियों के चलने की आवाज़ है
और ना ही किसी को किसी से आगे निकलने की जल्दबाज़ी ,
आहिस्ता-आहिस्ता यूं ही बस यह दिन बीत रहा है
नवंबर कि इस बारिश ने मानो पूरे शहर को सुला दिया ;

मैं खिड़की से बाहर की तरह देख रहा हूं
कभी ठंडी हवाएं आके मेरे बदन को छू जा रही है ,
तो कभी बारिश की दो बूंदे मुझे भिगो रही है
फिर भी मैं किसी चीज की तलाश में बैठा हुआ हूं ;

सुबह से शाम हो गई यह बारिश अभी तक रुका नहीं
शायद इससे भी मेरी तरह कोई सहारा मिला नहीं ,
लगातार यह खुद कुछ ज़मीन पर दफ़न कर रही है
फिर अपनी ही कब्र पर खुद ही रो रही है ,
हाय यह " नवंबर की बारिश "

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13 NOV 2021 AT 17:56

बड़ा बेजान लग रहा है यह शहर आज ,
ना आसमान में चांद खिला है
और ना तो ज़मीन पर तुम मौजूद हो !

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