मेरी किताबें
फिर मुझ से पुछ रही है
तुम्हें नही मिला कभी गुलाब
जिसे तुम मेरे पन्नों के दरख़्त में रख जाते,
और मुझे सौप जाते उसे संभालने का भार
उसके पंखुड़िया अलग हो जाने से लेकर,
उसकी स्मृतियां मिट जाने तक ।
और तुम्हारी उदासी उस गुलाब की पंखुड़ियों को
देख कर मुस्कुराहट में बदल जाती,
उन्हीं यादों के संग ।।
है ना !!
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📝𝙼𝚎𝚛𝚒_𝚍𝚒𝚊𝚛𝚢
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