एक नज़र में, कुछ ज़्यादा देखने की क़ाबिलियत
कुछ लफ़्ज़ों में, एक कहानी कहने की काबिलियत
हमे, बिन माँझी की नौका बना कर छोड़ेगी
तेरी, हर सच को झूठ समझने की क़ाबिलियत-
आहिस्ता से, एक कदम और आगे चलते हैं ।
बस एक कदम, उन्माद की ओर
यकीनन, ये ज़ुदा कर देगा हर रस्म से
या धकेल देगा हमे, एक उम्र पीछे |
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एक उम्र, जहाँ मैं तुम अनजान थे
एक दूसरे के घर आते जाते वक़्त निभाते
बस एक दूसरे के, दूर के मेहमान थे ।-
कई जगहों पर गहरे से
कुछ निशान छोड़ गई थी, गाड़ी उम्र कि
जिनका रंग अब शून्य हो चला था ।
पकड़ कर हाथ तेरा मैं
भर चुका हूँ वो सभी जगह
प्रेम के गुलाबी रंग से
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कितनी रातों को ढूँढा तुझे
कितने दिन बैठी तेरे इंतज़ार में।
कब कब निहारा इन गलियों को
कितने दिन जगाया, मुझे तेरे इज़हार ने।
मेरे अंदर और बाहर का,
सारा हाल पहचानती है
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ये खिड़की, सब जानती है ।-
वक़्त के रहते कुछ वक़्त
मिले तो बेहतर है ।
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बस मलाल फक्त बचता है
वक़्त बीत जाने के बाद ।-
तुमसे कहने को, हज़ार बातों से भरा दिल
तुझे निहारती और,
प्रेम कि सागर से स्नेह चुनती ये आँखें ।
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हक़ीक़त और ज़िंदगी के बीच बनी
एक दीवार के सहारे टेक लगाये खड़े हैं।
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वक्त के ताबूत से निकले
कुछ छिले, उधड़े ख्यालों ने
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आज के वत्सल चेहरे पर
मुस्कान उकेर कर छोड़ी है |
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शीत में ठिठुरती इन पलकों में
छुपे इस, प्रेम को देखो प्रिए
कैसे, ये सूरज की लाली
फिसल के गिरती है
तेरे चेहरे से और
मेरे होठों पर ठहर कर
एक नज़्म बन जाती है-
बदलती सी जिन्दगी में
रुका सा मुझमें मैं
दूर जाती नौका से
किनारे, निहार लेता हूं|-