बस शब्दों के मोतियों को चुन कर
दिल के अल्फ़ाज़ सजा लेता हूं।
नज़र ने नज़र को,
नज़र भर देखा,
तो नज़र ने नज़र से कहा,
झुका ले अपनी नज़रें..ऐ नज़र!
कहीं नज़र ना लग जाए इस नज़राने को...!!!-
नजरों से दूर सही,
दिल के पास हो तुम।
मेरे दिल के लिए,
मीठा एहसास हो तुम।।
तेरे बगैर एक पल भी गवारा नहीं
क्योंकि,
इस "सावन" की जीने की आस हो तुम।।।-
हमारी तुम्हारी यादों में बस फर्क इतना है कि,
तुम मतलब से याद करते हो
और
हम तुम्हें बेमतलब याद करते हैं..!!-
तेरे इश्क के रंग में
कुछ ऐसे रंगने लगे,
कि
बाकी सारे रंग
भी मुझ पर
फीके लगने लगे...!!
ये मेरे इश्क का असर था
या
तेरे हुस्न का जादू
बाकी दुनिया से बेखबर
तुम्हारी नजरों में खोने लगे..!!-
क्या बताएं तुम्हें
क्या गुजरी है मुझ पर
बस इतना समझ लो
गर तुम पर गुजरेगी
तो खुदा कसम! गुज़र जाओगे..||-
चलो! छोड़ दिया तुम्हे चाहना
बेवजह अपने दिल को दुखाना
लिखेंगे फिर एक नई कहानी
भुला कर वो किस्सा पुराना..वो किस्सा पुराना।।-
इश्क मुझे भी था
इश्क़ उन्हे भी था
फर्क बस इतना था
मुझे 'उनसे' था
उन्हे किसी और से था...!!-